नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने राजधानी की 1797 अवैध कॉलोनियों में निर्माण कार्यों पर रोक लगाने के मंगलवार को निर्देश दिए, साथ ही विशेष कार्य बल को दो सप्ताह के भीतर सड़कों और फुटपाथ से अवैध कब्जा हटाने को कहा।
न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा कि राजधानी में कानून का राज खत्म हो चुका है। पीठ ने कहा कि यदि राजधानी में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित किया जा रहा है, इसका साफ मतलब है कि सरकार अवैध काम को बढ़ावा दे रही है। पीठ ने सरकार से कहा कि आप हलफनामा दाखिल करके यह बोल दें कि हम कानून का पालन नहीं कर सकते।
न्यायालय ने पूछा कि आखिर अवैध कॉलोनियों में सात-सात मंजिलें कैसे बनाई जा रही हैं। अगर नियमित कॉलोनियों में भवन निर्माण संबंधी नियमावली है तो अवैध कॉलोनियों में क्यों नहीं है? अवैध कॉलोनियों में ऐसे निर्माणों को इजाजत क्यों दी जा रही है?
इस दौरान मामले में न्याय मित्र रंजीत कुमार ने कहा कि सरकार अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। सरकार अवैध कब्जे और निर्माण को रोकने के लिए सही तरीके से प्रयास नहीं कर रही है। (वार्ता)