नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का घटनाक्रम रहस्य-रोमांच से भरी किसी फिल्म जैसा रहा जिसमें हर कोई अंदाज लगाता रहा और पता तब चला, जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को संसद में घोषणा की।
किसी धमाकेदार फिल्म की तरह सुरक्षबलों की तैनाती हुई, आतंकी खतरे के मद्देनजर परामर्श जारी हुआ, कश्मीर घाटी के राजनीतिक नेताओं को नजरबंद किया गया, इंटरनेट सहित अन्य संचार सेवाएं रोक दी गईं और बीती आधी रात अत्यंत गहमागहमी रही।
यह सब जुलाई के अंतिम सप्ताह में तब शुरू हुआ, जब केंद्र ने आतंकवादरोधी अभियानों की मजबूती और कानून व्यवस्था की स्थिति के आधार पर घाटी में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों (करीब 10 हजार केंद्रीय सुरक्षाकर्मियों) की तैनाती का आदेश दिया।
हालांकि राज्य के राजनीतिक दलों और विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के इरादों पर चिंता जाहिर की और दावा किया कि केंद्र कुछ बड़ा करने की योजना बना रहा है। कश्मीर घाटी में चिंता का माहौल उत्पन्न हो गया, जहां श्रीनगर के संवेदनशील इलाकों तथा कश्मीर के अन्य हिस्सों में अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई। इनमें से ज्यादातर सुरक्षाकर्मी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) से थे। यह तैनाती 100 कंपनियों के अतिरिक्त थी।
स्थिति शुक्रवार को तब चरम पर पहुंच गई, जब सेना ने कहा कि पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी अमरनाथ तीर्थयात्रियों को निशाना बनाने की साजिश रच रहे हैं। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने परामर्श जारी कर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों से तत्काल घाटी छोड़ने को कहा।
कयास लगाए जाने लगे कि कश्मीर में हो रहे घटनाक्रम आतंकी खतरे से जुड़े हैं, वहीं अनेक लोग अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 पर कोई बड़ी घोषणा होने की अटकलें लगाने लगे। अमरनाथ तीर्थयात्रियों और पर्यटकों ने सरकार के परामर्श के बाद शनिवार को घाटी को छोड़ना शुरू कर दिया।
अटकलें तब और बढ़ गईं, जब सरकार ने एयरलाइनों से कहा कि वे जम्मू-कश्मीर से बाहर जाने वाली उड़ानों के किराए पर नियंत्रण रखें, वहीं रेलवे ने घोषणा की कि वह कश्मीर से बाहर जा रहे यात्रियों से टिकट रद्द कराने का कोई शुल्क वसूल नहीं करेगा। इस बीच राज्य के राज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों से कहा कि वे अपने समर्थकों से शांत रहने और घाटी में उड़ रहीं अफवाहों पर विश्वास न करने को कहें।
अनुच्छेद 35ए तथा अनुच्छेद 370 को लेकर बढ़तीं अटकलों के बीच जम्मू-कश्मीर में क्षेत्रीय दलों ने रविवार को सर्वसम्मत संकल्प लिया कि वे राज्य को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधानों को खत्म करने या राज्य को 3 हिस्सों में बांटने के किसी भी प्रयास के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला ने बैठक में स्वीकार किया गया प्रस्ताव पढ़ते हुए कहा कि दलों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के पास प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है, जो संविधान के अनुच्छेद 35ए तथा अनुच्छेद 370 को हटाने या निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन या राज्य को 3 हिस्सों में बांटने के किसी भी प्रयास के दुष्परिणामों के बारे में अवगत कराएंगे।
बैठक के तुरंत बाद घाटी में तेजी से होते घटनाक्रमों से रहस्य गहरा गया, क्योंकि अधिकारियों ने रविवार की रात महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा बढ़ा दी, मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दीं तथा कई नेताओं को या तो गिरफ्तार कर लिया या हिरासत में ले लिया गया।
2 पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें नजरबंद कर दिया गया है, वहीं कांग्रेस नेता उस्मान माजिद और माकपा नेता एमवाई तारिगामी ने दावा किया कि उन्हें आधी रात के करीब गिरफ्तार कर लिया गया।
रात में गहराए रहस्य के बाद सोमवार की सुबह केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई, हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में क्या चर्चा हुई? इसके ब्योरे का खुलासा नहीं किया गया। बैठक के तत्काल बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संदेश दिया कि गृहमंत्री अमित शाह संसद में बयान देंगे। इससे कश्मीर के बारे में किसी बड़ी घोषणा की खबरें हवा में तेजी से तैरने लगीं।
राज्यसभा की बैठक शुरू होते ही शाह ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने की घोषणा की और इस तरह कई दिनों से चली आ रहीं अटकलों, चिंता और रहस्य-रोमांच पर विराम लग गया!