देश में 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों का चलन बंद करने के बाद बाजार में आए 2000 रुपए के नए नोट की छपाई रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के कार्यकाल में ही शुरू कर दी गई थी, लेकिन इस पर हस्ताक्षर केंद्रीय बैंक के नए गवर्नर उर्जित पटेल का कराया गया। अर्थ संबंधी नीतियों को तय करने, क्रियान्वित करने में रिजर्व बैंक को परे रख दिया गया और सीधे निर्देश प्रधानमंत्री कार्यालय से आते हैं। अगर ऐसे मामले में पूछताछ की जाती है तो नौकरशाहों का जवाब होता है कि जानकारी देना जरूरी नहीं है।
एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित खबर के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक ने दो हजार के नए नोटों की छपाई की प्रक्रिया 22 अगस्त, 2016 को ही शुरू कर दी थी और ठीक इसके अगले ही दिन सरकार ने रिजर्व बैंक के नए गवर्नर के रूप में उर्जित पटेल के नाम की घोषणा की थी।
खास बात यह भी है कि रिजर्व बैंक के नए गवर्नर के नाम की घोषणा के करीब दो हफ्ते 4 सितंबर, 2016 तक रिजर्व बैंक के नए गवर्नर उर्जित पटेल ने रघुराम राजन के स्थान पर अपना पदभार ग्रहण नहीं किया था। इसके बावजूद रिजर्व बैंक की ओर से शुरू किए गए नए नोटों की छपाई के समय निवर्तमान गवर्नर रघुराम राजन के नाम का हस्ताक्षर नहीं कराया गया।
इस संबंध में जब ई-मेल के जरिए वित्त मंत्रालय से सवाल किया कि जब रघुराम राजन के कार्यकाल में ही 500 और 1000 रुपए के बड़े नोटों को बंद कर 2000 रुपए के नए नोट को चलाने के बारे में फैसला लिया गया, तो फिर उस पर रघुराम राजन के हस्ताक्षर क्यों नहीं कराए गए? लेकिन वित्त मंत्रालय की ओर से इसका कोई माकूल जवाब भी नहीं दिया गया। इतना ही नहीं, इसी तरह का सवाल ई-मेल के जरिए रघुराम राजन से भी किया गया, लेकिन उन्होंने भी सवाल का जवाब देना उचित नहीं समझा।
अखबार अपनी खबर में इस बात का भी जिक्र करता है कि नए नोटों के प्रचलन के बारे में वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से सवाल करने के बाद भी कोई माकूल जवाब नहीं मिला, तो अखबार के पास 2000 रुपए के नए नोटों की छपाई से संबंधित सबूत उसके पास मौजूद हैं।
विदित हो कि बीते साल के दिसंबर महीने में रिजर्व बैंक के नए गवर्नर उर्जित पटेल ने खुद वित्त मंत्रालय की संसदीय समिति के समक्ष इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि 2000 रुपए के नए नोटों को छापने को लेकर 7 जून, 2016 को ही फैसला कर लिया गया था। सभी महत्वपूर्ण फैसलों को लेने की प्रक्रिया केवल कुछेक लोगों तक सीमित हो गई
22 अगस्त को शुरू कर दी गई थी प्रक्रिया : रिजर्व बैंक की ओर से संसदीय समिति को दिए गए जवाब के अनुसार, 2000 रुपए के नए नोट को छापने की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला जून, 2016 में ही ले लिया गया था। हिंदुस्तान टाइम्स के पास रिजर्व बैंक की ओर से संसदीय समिति को पत्र के जरिए दिए गए जवाब की वह छायाप्रति भी मौजूद है, जिसमें रिजर्व बैंक के गवर्नर ने इस बात को स्वीकार किया है।
आम तौर पर नए नोटों की छपाई की प्रक्रिया केंद्रीय बैंक की ओर से आदेश जारी होने के बाद ही शुरू की जाती है, लेकिन 2000 रुपए के नए नोट की छपाई की प्रक्रिया रिजर्व बैंक की ओर से दिए गए आदेश के करीब ढाई महीने पहले 22 अगस्त, 2016 को ही शुरू कर दी गई थी।
आठ नवंबर के बाद छापा गया 500 का नया नोट : रिजर्व बैंक बोर्ड और भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (बीआरबीएनएमपीएल) के पूर्व सदस्य विपिन मलिक ने नए नोटों की छपाई शुरू होने के पहले ही कहा था कि पहले रिजर्व बैंक के बोर्ड ने इसके सुरक्षा फीचर्स को बदलने के लिए अपनी अनुमति दी और तब इसके बाद बीआरबीएनएमपीएल ने इसकी पुष्टि की। इस संबंध में अखबार ने भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड से सूचना के अधिकार कानून के तहत आरटीआई के जरिए सूचना भी प्राप्त की, जिसमें इस बात की पुष्टि की गई है।
कंपनी ने आरटीआई के जवाब में यह भी कहा है कि उसने 500 रुपए के नए नोटों की छपाई का काम आठ नंवबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा के बाद शुरू किया गया था। इसमें आरोप यह भी लगाया गया है कि 500 रुपए के नए नोटों की छपाई का काम तब शुरू किया गया, जब आठ नवंबर को प्रधानमंत्री की ओर से नोटबंदी की घोषणा के बाद बाजार में 2000 रुपए के नोटों की कमी के बाद अफरा-तफरी का माहौल शुरू हो गया।
100 दिन पूरे होने के बाद नष्ट किए जा रहे हैं पुराने नोट : चौंकाने वाली बात यह भी है कि सरकार की ओर से नोटबंदी की घोषणा के 100 दिन पूरे होने के बाद 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को नष्ट करने काम तब शुरू किया गया, जबकि दूसरी तरफ रिजर्व बैंक को अर्थव्यवस्था में नए नोटों की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी। वहीं दूसरी ओर यह भी बताया जा रहा है कि पुराने दो बड़े नोटों को बंद कर नए नोटों के प्रचलन को शुरू करने की बात को गुप्त रखा गया था और उधर, रिजर्व बैंक की ओर से इस बात की पुष्टि होने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूरदर्शन पर पुराने नोटों के प्रचलन को बंद करने की घोषणा की थी।
इतना ही नहीं, रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने हमेशा सरकार के इस फैसले पर कुछ बोलने से बचते रहे हैं क्योंकि सरकार ने नोटबंदी पर फैसला लेने के पहले उनके कार्यकाल को बढ़ाया नहीं था। हालांकि, सरकार और रिजर्व बैंक ने नोटबंदी की प्रक्रिया के संबंध में किसी प्रकार की जानकारी देने से इनकार किया है। आर्थिक मामलों के सचिव शशिकांत दास ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से नोटबंदी की घोषणा के तुरंत बाद ही कहा था कि नोटबंदी की प्रक्रिया से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराना कोई जरूरी नहीं है। इन सभी बातों से यह साबित हो गया है कि रिजर्व बैंक की कोई स्वायत्तता नहीं रह गई है और वित्त मंत्री सीधे रिजर्व बैंक को आदेश देते हैं और इतने महत्वपूर्ण नीतियों, कार्यक्रमों का क्रियान्वयन सीधे प्रधानमंत्री के इशारे पर होता है।