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डिजिटल इंडिया की परेशानियां और चुनौतियां...

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, बुधवार, 1 जुलाई 2015 (13:06 IST)
डिजिटल इंडिया की प्रधानमंत्री शुरुआत करेंगे। इसमें इंटरनेट के माध्यम आम आदमी की  जिंदगी को आसान बनाने का प्रयास जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट हैं।  डिजिटल भारत होने से आम व्यक्ति की जिंदगी आसान तो होगी, लेकिन इसमें कुछ व्यवहारिक परेशानियां और चुनौतियां भी सामने आएंगी। जानिए क्या हैं वे परेशानियां और चुनौतियां
इंटरनेट स्पीड : डिजिटल इंडिया पूरी तरह से इंटरनेट पर आधारित है। ई- भारत का सपना तब ही  पूरा होगा जब इंटरनेट की गति तीव्र होगी, लेकिन हम इंटरनेट की गति में बहुत पीछे हैं। दुनिया में  हमारा नंबर 52वां है। यहां डाउनलोड स्पीड 2 एमबीपीएस है। 
 
सुरक्षा पर खतरा : देश की कम्प्यूटर तथा सूचना प्रणाली इंटरनेट से जुड़ी हुई है। इन पर विदेशी  कंपनियों का आधिपत्य है। तकनीक के स्वदेशी विकास तथा विदेशी कंपनियों पर नियंत्रण के बगैर  डिजिटल इंडिया का विस्तार विनाशकारी होने के साथ ही देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बना  रहेगा।
 
बच्चों की इंटरनेट पर सक्रियता  : ई-बैग जैसी सुविधाओं से कम उम्र के बच्चे भी इंटरनेट का प्रयोग करेंगे और  ऐसा माना जा रहा है कि डिजिटल इंडिया से बच्चों की इंटरनेट पर सक्रियता बढ़ जाएगी। इससे वे  इंटरनेट की अन्य सामग्रियों को भी देखेंगे, जिसका दुष्प्रभाव उन पर पड़ेगा। अमेरिका में 13 वर्ष के  कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध है, जबकि एसोचैम के सर्वे के मुताबिक भारत  में 8 से 13 वर्ष की उम्र के करीब 73 फीसदी बच्चे इंटरनेट पर सक्रिय है। 
 
वे सोशल मीडिया पर 3-4 घंटे गुजारते हैं। ये बच्चे इंटरनेट पर ऐसी सामग्रियां देखते हैं जो इनके  लिए प्रतिबंधित हैं। उम्र के मुताबिक बैन होने पर भी इन्हें खोजने के लिए ये नए रास्ते निकाल लेते  हैं। माना जा रहा है कि डिजिटल इंडिया से बच्चों की इंटनेट पर सक्रियता और बढ़ जाएगी।    
 
बिजली की परेशानी : इंटरनेट पर कार्य करने के लिए बिजली का होना आवश्यक है। स्मार्ट फोन  की बात छोड़ दी जाए तो गांवों में तो अभी भी कम्प्यूटर पर इंटरनेट चलाया जाता है। ऐसे में बगैर  बिजली के इंटरनेट कैसे चलेगा जबकि गांवों में आज भी बिजली की 24 घंटे उपलब्धतता नहीं है।  आज भी गांवों में 12 से 20 घंटे बिजली की कटौती होती है। डिजिटल इंडिया के रास्ते में यह सबसे  बड़ी परेशानी होगी। 
 
प्रशिक्षण का अभाव : डिजिलट इंडिया में टेक्नोलॉजी से आम इंसान का काम तो आसान बनेगा, लेकिन उन्हीं का जिन्हें इंटरनेट का पूर्ण ज्ञान हो। अब अगर गांव में रहने वाले लोगों की बात की जाए तो आज भी इंटरनेट प्रशिक्षण में पीछे हैं। ऐसे में जालसाजी और धोखाधड़ी का भी डर बना रहेगा। इसके लिए जरूरी है कि पहले तकनीक का पूरा ज्ञान देना होगा, उसके बाद ही भारत को डिजिटल बनाने का सपना पूरा हो सकेगा। 

ई कॉमर्स कंपनियों का वर्चस्व : देश में ई कॉर्मस का मौजूदा बाजार करीब 13 अरब डॉलर का है। इस व्यापारिक मॉडल में न्यूनतम रोजगार के नकारात्मक पहलू के अलावा देश का पैसा ई- कॉमर्स प्लेटफॉर्म से विदेश जा रहा है। इन कंपनियों द्वारा करोड़ों की टैक्स चोरी भी की जाती है। डिजिटल इंडिया की शुरुआत से इनके हौसले और बुलंद हो जाएंगे। डिजिटल इंडिया से इनकी पैठ भारत के उपभोक्ताओं तक और बढ़ेगी।

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