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क्या होता है DNA टेस्ट, जिससे अहमदाबाद हादसे में होगी झुलसे शवों की पहचान, क्या आग लगने के बाद भी बचता है DNA?

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WD Feature Desk

, शुक्रवार, 13 जून 2025 (14:49 IST)
dna evidence and its role in criminal investigations: किसी भी बड़े हादसे, जैसे कि आग लगने या विमान दुर्घटना के बाद, शवों की पहचान करना एक बेहद जटिल काम होता है। अक्सर ऐसे मामलों में, पारंपरिक पहचान के तरीके जैसे कि चेहरे की पहचान, कपड़ों या गहनों से पहचान, या फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल करना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि शरीर पूरी तरह से जल चुका होता है। ऐसी स्थिति में, जहाँ दृश्यमान पहचान के सभी निशान मिट जाते हैं, DNA टेस्टिंग एक सबसे भरोसेमंद और सटीक तरीका बनकर सामने आता है, जो इस मुश्किल काम को आसान और वैज्ञानिक रूप से संभव बनाता है। हाल ही में हुए अहमदाबाद विमान हादसे में भी शवों की पहचान के लिए सरकार DNA टेस्ट करवा रही है।

झुलसे शवों की पहचान क्यों है मुश्किल?
जब कोई शरीर आग में झुलस जाता है, तो इसके ऊतक, त्वचा, चेहरे के पहचानने योग्य अंग, फिंगरप्रिंट और अन्य बाहरी पहचान लगभग पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं। कभी-कभी, शरीर इतना जल जाता है कि हड्डियां भी टूटकर बिखर जाती हैं या पूरी तरह से राख हो जाती हैं। इस अत्यधिक क्षति के कारण, आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली पहचान के तरीके बेकार हो जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपने प्रियजन को पहचानना चाहता है, तो उसे केवल जली हुई अस्थियों या मांस के टुकड़े ही मिल सकते हैं, जो भावनात्मक रूप से भी बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। यहीं पर फॉरेंसिक विज्ञान और डीएनए फिंगरप्रिंटिंग की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।

क्या होता है DNA टेस्ट?
DNA यानी डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड, हमारे शरीर की कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक तरह का कोड होता है। यह हर व्यक्ति का विशिष्ट होता है, और यह हमारी सभी आनुवंशिक जानकारी को वहन करता है। यह कोड हमें हमारे माता-पिता से मिलता है, और हमारे परिवार के सदस्यों के साथ इसकी समानता होती है। DNA टेस्ट में, शव से सुरक्षित बचे किसी भी हिस्से (जैसे हड्डी, दांत, या बाल की जड़) से DNA निकाला जाता है। फिर इस निकाले गए DNA को मृतक के संभावित परिजनों (जैसे माता-पिता, भाई-बहन, या बच्चे) के DNA नमूने से मिलाया जाता है। यदि दोनों नमूनों के DNA प्रोफाइल मेल खाते हैं, तो शव की पहचान सुनिश्चित हो जाती है।

क्या आग लगने के बाद भी बचता है DNA?
यह एक आम सवाल है कि क्या आग लगने के बाद भी DNA बच सकता है? इसका जवाब है हाँ। यद्यपि आग शरीर को अत्यधिक नुकसान पहुंचा सकती है, फिर भी कुछ ऐसे हिस्से होते हैं जो अत्यधिक तापमान का सामना कर सकते हैं और जिनमें DNA सुरक्षित रहता है। इन हिस्सों में शामिल हैं:
दांत: दांतों की परत (एनामेल) बेहद सख्त होती है और यह उच्च तापमान में भी काफी हद तक सुरक्षित रह सकती है। दांतों के भीतर का पल्प चैम्बर भी DNA को संरक्षित रख सकता है।
हड्डियां: विशेष रूप से लंबी और मोटी हड्डियों में, अंदर का मज्जा (Bone Marrow) और हड्डी के कोर में DNA बचा रह सकता है। हड्डियां अपनी खनिज संरचना के कारण गर्मी के प्रति अपेक्षाकृत प्रतिरोधी होती हैं।
बालों की जड़: यदि बाल पूरी तरह से जल न गए हों, तो उनकी जड़ में DNA मिल सकता है।
मांसपेशियों के गहरे ऊतक: कुछ दुर्लभ मामलों में, यदि शरीर का कोई हिस्सा पूरी तरह से नहीं जला है, तो गहरे मांसपेशियों के ऊतकों से भी DNA प्राप्त किया जा सकता है।

DNA टेस्टिंग कैसे करता है मदद?
जब पारंपरिक तरीके विफल हो जाते हैं, तब DNA टेस्टिंग ही अंतिम उम्मीद बन जाती है। यह एक वैज्ञानिक रूप से मान्य और अत्यधिक सटीक तरीका है, जो शव की पहचान करने में मदद करता है। यह फॉरेंसिक पहचान, आपदा पीड़ितों की पहचान (DVI), और आपराधिक जांच में एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह प्रक्रिया कानूनी पहचान के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो बीमा दावों और संपत्ति के उत्तराधिकार जैसे मामलों को सुलझाने में सहायता करती है।
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