जम्मू। कश्मीर में सिर्फ 4 साल में कुत्तों के काटने के 65 हजार मामलों ने त्राहि त्राहि मचा दी है। यहां आतंकियों से ज्यादा खौफ कुत्तों का नजर आ रहा है। इन कुत्तों से मुक्ति दिलवाने के सभी प्रयास मिट्टी हो रहे हैं। आधिकारिक आंकड़ों की बात करें तो जम्मू कश्मीर में प्रतिदिन 50 मामले कुत्तों के काटने के आ रहे हैं। अब लद्दाख में भी यह प्रतिदिन 7 की रफ्तार को पकड़ चुके हैं।
आधिकारिक आंकड़ों की बात करें तो जम्मू कश्मीर में प्रतिदिन 50 मामले कुत्तों के काटने के आ रहे हैं। अब लद्दाख में भी यह प्रतिदिन 7 की रफ्तार को पकड़ चुके हैं। कश्मीर में सिर्फ 4 साल में कुत्तों के काटने के 65 हजार मामलों ने त्राहि त्राहि मचा दी है।
प्रदेश में सबसे अधिक कुत्तों के काटने के मामले श्रीनगर के राजधानी शहर में आ रहे हैं। हालत यह है कि कई बार पर्यटकों को यह कहते हुए देखा गया है कि साहब कश्मीर में अब आतंकियों से नहीं बल्कि कुत्तों के काटने से डर लगता है।
कुत्तों की हुकूमत से मुक्ति दिलवाने के प्रयास भी हो रहे हैं। लद्दाख में पिछले 10 सालों के भीतर 22,145 कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। श्रीनगर में भी प्रतिदिन 50 से 60 नसबंदियां की जा रही हैं पर यह अक्सर फंड की कमी का रोना रोते हुए यह रूक जाती हैं।
मजेदार बात यह है कि जम्मू नगरपालिका का दावा है कि जम्मू शहर में कुल 40 हजार कुत्तों में से 30 हजार की नसबंदी हो चुकी है और फिर भी कुत्तों के काटने के मामलों में कोई कमी नहीं दिख रही है।
जम्मू नगरपालिका के अधिकारियों का दावा है कि कुत्तों की अगर नसबंदी कर दी जाती है तो वे आक्रामक नहीं रहते और वे काटते भी नहीं है। पर बढ़ते आंकड़े़ उनके इस दावों की पोल जरूर खोल रहे थे।