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सिलक्यारा सुरंग में फिर रुकी ड्रिलिंग, 12 दिन से फंसे 41 श्रमिकों का इंतजार बढ़ा

हमें फॉलो करें Tunnel Accident
, शुक्रवार, 24 नवंबर 2023 (23:21 IST)
Silkyara tunnel accident: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 12 दिन से फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए रास्ता बनाने के प्रयास में जारी ड्रिलिंग शुक्रवार को एक बार फिर रोकनी पड़ी जिससे श्रमिकों का इंतजार और बढ़ गया। पिछले दो दिनों में अभियान को यह दूसरा झटका लगा है।
 
अधिकारियों ने बताया कि बृहस्पतिवार को अमेरिकी ऑगर मशीन में आई तकनीकी अड़चन के बाद रुकी ड्रिलिंग 24 घंटे बाद शुक्रवार को फिर शुरू की गई थी। दिन में तकनीकी बाधा को दूर करने के बाद 25 टन वजनी भारी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू की गई लेकिन कुछ ही देर में उसका संचालन रोकना पड़ा।
 
चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे श्रमिक मलबे के दूसरी ओर फंस गए थे। तब से विभिन्न एजेंसियों द्वारा उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि अनुमानित 57 मीटर के मलबे में ड्रिलिंग कर अब तक 46.8 मीटर तक स्टील पाइप डाले जा चुके हैं जबकि 10-12 मीटर ड्रिलिंग शेष है।
 
लोहे के पाइप बने बाधा : आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस बार मलबे में 25 मिमी की सरिया व लोहे के पाइप ड्रिलिंग में बाधा बने हैं। उन्होंने बताया कि ऑगर मशीन को निकालकर गैस कटर से बाधाओं को हटाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मशीन के आगे बार-बार लोहे की चीजें आने से ड्रिलिंग का कार्य प्रभावित हो रहा है।
 
प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने ‘ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार’ से मिले आंकड़ों का हवाला देते हुए सुबह बताया था कि ड्रिल किए जा चुके सुरंग के अवरूद्ध हिस्से के आगे 5 मीटर तक धातु की कोई अड़चन नहीं है।
 
उन्होंने कहा कि ऑगर मशीन में कोई तकनीकी समस्या नहीं है, लेकिन बचावकर्मियों को उस प्लेटफॉर्म को मजबूत करना पड़ा है जिस पर इसे स्थापित किया गया है। खुल्बे ने शुक्रवार शाम तक बचाव अभियान पूरा होने की भी उम्मीद जाहिर की थी।
 
राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद और उत्तराखंड सरकार के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने बताया कि ‘एस्केप पैसेज’ बनाने के लिए 46.8 मीटर तक स्टील पाइप डाले जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि मलबे के दूसरी ओर फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए 6-6 मीटर लंबे दो पाइप और डाले जाएंगे।
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800 मिमी व्यास के स्टील पाइप डाले जा रहे हैं : अमेरिका निर्मित ऑगर मशीन से मलबे को भेदकर 800 मिमी व्यास के स्टील पाइप डाले जा रहे हैं और इसी के जरिए फंसे श्रमिकों को बाहर लाया जाएगा। गढ़वाल परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक के एस नगन्याल ने बताया कि फंसे श्रमिकों के बाहर निकलने के बाद उन्हें एक हरित गलियारे के जरिए अस्पताल तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।
 
मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक, बाहर निकलने के बाद कुछ दिनों तक श्रमिकों का ‘आइसोलेशन’ में उपचार जरूरी है क्योंकि वे बंद जगह पर कई दिन गुजारने के बाद बाहर आएंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह भी बचाव कार्यों की देखरेख के लिए उत्तरकाशी में ही रुके हुए हैं।
 
मॉक ड्रिल की गई : बुधवार शाम उत्तरकाशी पहुंचे धामी फिलहाल सिलक्यारा के निकट मातली में रह रहे हैं जहां उन्होंने अपना अस्थाई कैंप कार्यालय स्थापित किया है। जनरल सिंह उत्तरकाशी में स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में ठहरे हुए हैं। रास्ता तैयार होने के बाद राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के कर्मी श्रमिकों को एक-एक करके पहिए लगे कम ऊंचाई के स्ट्रेचर के जरिए बाहर लाएंगे और इसके लिए पूर्वाभ्यास कर लिया गया है।
 
41 एंबुलेंस तैयार : एनडीआरएफ का एक जवान सुरंग के एक छोर से बंधे पहियों वाले स्ट्रेचर को धक्का देते हुए पैसेज में गया और पूरा रास्ता तय करने के बाद उसे वापस बाहर खींच लिया गया। जवान ने बताया कि पाइप के अंदर पर्याप्त जगह है और उन्हें अंदर जाने में कोई परेशानी नहीं हुई। श्रमिकों को बाहर निकाले जाने के बाद की योजना भी तैयार है जिसके तहत बाहर खड़ी 41 एंबुलेंस के जरिए उन्हें चिन्यालीसौड़ सामुदायिक केंद्र में ले जाया जाएगा, जहां 41 आक्सीजन युक्त बिस्तरों का एक अलग वार्ड बनाया गया है।
 
एम्स में भी पूरी तैयारी : उत्तरकाशी जिला अस्पताल में भी इसी तरह के इंतजाम किए गए हैं। जरूरत पड़ने पर उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश पहुंचाए जाने की व्यवस्था भी की गई है और वहां भी ट्रॉमा और आइसीयू बिस्तर तैयार रखे गए हैं। (भाषा/वेबदुनिया) 

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