श्रीनगर। नेपाल में भूकंप के ताजा झटकों के बाद जम्मू कश्मीर के लोग दहशतजदा हैं और सहमे हुए हैं। इन झटकों के बाद उनके दिलो-दिमाग पर 8 अक्टूबर 2005 की यादें किसी चलचित्र की भांति ताजा हो आई हैं। हालांकि सदी के इस भयंकर भूकंप के बाद भी राज्य सरकार की ओर से उन उपायों पर अमल नहीं किया गया है जो भूकंप से बचने के लिए सुझाए गए थे, इस सच्चाई के बावजूद कि पूरा राज्य सिसमिक जोन की 4 और 5 की श्रेणी में आता है।
विवि के जियोलॉजी विभाग के प्रो. जीएम भट्ट के मुताबिक अमेरिका के प्रसिद्ध वैज्ञानिक रोजर बिलहम भविष्यवाणी कर चुके हैं कि राज्य में रिक्टर स्केल पर आठ से ज्यादा की तीव्रता वाला भूकंप किसी भी समय आ सकता है। वर्ष 2005 में 7.6 की तीव्रता का भूकंप यहां आ चुका है। उसके बाद सुझाए गए भूकंपरोधी उपायों पर आज तक अमल नहीं हुआ है।
ऐसे में सभी यह आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि राज्य में भूकंप किसी भी समय भयानक तबाही मचा सकता है। हालांकि कई बार राज्य की धरती डोल चुकी है और इस सच्चाई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि राज्य सिसमिक जोन की 4 और 5 की श्रेणी में आता है, जिसके मायने सभी जानते हैं।
राज्य में भूकंप से बचने के कोई उपाय नहीं किए जाने का परिणाम यह है कि राज्य के लोगों के पास मात्र दुआ करने के कोई और चारा नहीं है। यही कारण था कि जापान में भूकंप की खबरों के बाद राज्य में भूकंप की शांति की खातिर हवन-यज्ञ और विशेष नमाज अता करने का दौर आरंभ हो चुका है। ये सब कहां तक राज्य की जनता को बचा पाएंगे समय ही बता पाएगा।
जानकारी के लिए राज्य में 8 अक्टूबर 2005 को 7.6 तीव्रता का भूकंप आया था। राज्यभर में तबाही का आलम यह था की करीब सवा लाख घर तबाह हो गए थे। 45 हजार तो पूरी तरह से मटियामेट हो गए थे। इस भूकंप के बाद भूकंप से बचने के उपाय सुझाने की खातिर रूड़की, कानपुर और मुंबई से इंजीनियरों के दल तो आए पर उनकी रिपोर्टों पर आज तक कोई अमल नहीं हो पाया।
दरअसल हिमालय क्षेत्र में पड़ती रियासत का तकरीबन पूरा इलाका भूकंप की बेहद संवेदनशील श्रेणी में आता है। यहां जमीन के नीचे भूगर्भीय हलचल लगातार जारी है। टेक्टोनिक प्लेटों में हो रही हलचल से पैदा हो रहा तनाव जब भी बाहर निकलेगा तो भारी तबाही ला सकता है।