Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

उत्तराखंड में आ सकता है सदी का सबसे विनाशकारी भूकंप

Advertiesment
हमें फॉलो करें उत्तराखंड में आ सकता है सदी का सबसे विनाशकारी भूकंप
नई दिल्ली। बीते सोमवार को अफगानिस्तान में आए 7.5 तीव्रता का भूकंप टेक्टोनिक प्लेट्‍स के टकराने की वजह से आया था, जिसमें अफगान-पाक में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए। टेक्टोनिक के कारण ही नेपाल ने भूकंप की विनाशलीला झेली थी, जिसमें 8 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। देश के शीर्ष भारतीय भूकंप विज्ञानी सीपी राजेंद्रन के अनुसार हिमालय क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से बहुत सक्रिय है और आशंका है कि उत्तराखंड में इस सदी का सबसे भयानक भूकंप आने के कारण अकल्पनीय तबाही मच सकती है। 
 

 
सरकार की ओर से जारी इस नए शोध में सबसे बड़ी चिंता उत्तरराखंड में भूकंप को लेकर है, जिसमें बताया गया है कि यह भूकंप अतिविनाशकारी हो सकता है। इस इलाके में करीब एक करोड़ लोग रहते हैं। उत्तराखंड में भयानक भूकंप आने की आशंका इसलिए है क्योंकि इस राज्य के नीचे करीब 700 साल पुराना 'फाल्ट' अपने चरम पर पहुंच गया है। 
 
यह जानकारी भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञों की एक बड़ी टीम ने दी है। टीम ने लैब और साइट पर की गई जांच के बाद यह निष्कर्ष दिया है, जिसके सदस्य राजेंद्रन भी हैं। 
 
भूगर्भ  विज्ञानियों की टीम ने भागीरथी, अलखनंदा और काली नदी के किनरों पर इसकी जांच की थी। नेपाल में 7.3 से अधिक तीव्रता के भूकंप आने के बाद दुनियाभर के भूकंप विज्ञानियों का अनुमान है कि हिमालयी क्षेत्र में ऐसे कई भूकंप आ सकते हैं। 
 
बेंगलुरु के जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च के प्रमुख सीपी राजेंद्रन का कहना है कि इन क्षेत्रों की सरकारों को हिमालयी क्षेत्र में भूंकपीय गतिविधियों पर लगातार करीब से नजर रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सोमवार को अफगानिस्तान में आए भूकंप का केंद्र भारत से काफी दूर था। जाहिर है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के यूरेशियाई हिमालय की टेक्टोनिक प्लेट के निरंतर नीचे घुसने के कारण आया था। 
 
राजेंद्रन ने बताया कि  सोमवार को आया भूकंप भारतीय प्लेट से काफी दूर अफगानिस्तान तुर्कमेनिस्तान बेल्ट में आया हुआ दिखता है। मगर वास्तव में ऐसा प्रतीत होता है कि यह भारतीय प्लेट के अग्रणी किनारे के हिमालयन प्लेट के नीचे दबने के कारण आया था। दो महाद्वीपीय प्लेट्‍स भारतीय और यूरेशियाई प्लेट्‍स के किनारे पर स्थित हिमालय भयावह भूकंप के लिए अतिसंवेदनशील है। 
 
राजेंद्रन के मुताबिक भारतीय प्लेट ने करीब 10 लाख साल यूरेशियाई प्लेट की की ओर खिसकना शुरू किया था। आज ऑस्ट्रेलिया के रूप में जाने जाने वाला भूमि का बड़ा हिस्सा उस वक्त भारतीय प्लेट से टूटकर अलग हो गया था। भारतीय प्लेट एशिया के साथ जुड़कर भारतीय उपमहाद्वीप का निर्माण कर रही है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi