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दिल्ली NCR में लगातार दूसरे दिन भूकंप के झटके, लोगों में दहशत

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हमें फॉलो करें Earthquake again in Delhi NCR

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शुक्रवार, 11 जुलाई 2025 (20:38 IST)
Earthquake again in Delhi NCR: दिल्ली एनसीआर में लगातार दूसरे दिन भूकंप के झटके महसूस किए गए। लगभग पौने आठ बजे आए रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.7 बताई जा रही है। भूकंप का केन्द्र हरियाणा के झज्जर में बताया गया है। बृहस्पतिवार की सुबह भी दिल्ली एनसीआर में भूकंप के झटका महसूस किए गए थे। 
 
भूकंप का झटका शाम 7:49 बजे दर्ज किया गया, जिसका केंद्र झज्जर से 10 किलोमीटर उत्तर-पूर्व और दिल्ली से लगभग 51 किलोमीटर पश्चिम में स्थित था। रोहतक, फरीदाबाद, कुरुक्षेत्र, गुरुग्राम, गाजियाबाद और नोएडा सहित कई जिलों में लोगों ने भूकंप का झटका महसूस किया। लगातार दूसरे दिन भूकंप आने से लोगों में दहशत फैल गई। कई जगह लोग अपने-अपने घरों से बाहर आ गए। हालांकि अभी तक किसी के भी जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है। 
 
दिल्लीवासी डरे : यह इस क्षेत्र में गत दो दिनों में आया दूसरा भूकंप था। बृहस्पतिवार की सुबह झज्जर के पास 4.4 तीव्रता का भूकंप आया था जिसका असर दिल्ली सहित विभिन्न स्थानों पर देखने को मिला था। लगातार दो दिन आए भूकंपों ने सोशल मीडिया पर चिंता और अटकलों को जन्म दे दिया है।
 
गुरुग्राम के एक निवासी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा कि एक और भूकंप - दो दिनों में दो भूकंप! क्या हो रहा है? एक अन्य उपयोगकर्ता ने लिखा- ‘एक और दिन, एक और भूकंप। दिल्ली में एक बार फिर भूकंप का झटका - इस हफ़्ते दूसरा झटका! टेक्टोनिक प्लेटों में क्या हो रहा है? दिल्लीवासी सचमुच कांप रहे हैं...।
भूकंप में खुद को कैसे बचाएं : डिजास्टर मैनेजमेंट विशेषज्ञ डॉ. अनिकेत साने कहते हैं कि भूकंप की पहले से भविष्यवाणी तो नहीं की जा सकती, लेकिन बचने के लिए प्री-अर्थक्वेक डिजास्टर प्लान तो तैयार कर ही सकते हैं। हमें इसके लिए भूकंप रोधी मकानों का निर्माण करना चाहिए। भूकंप रोधी इमारतों का निर्माण करने के लिए रेक्ट्रोफीलिंग मटेरियल का उपयोग किया जाता है। सरकार ने भी इसके लिए गाइडलाइंस जारी की है।

भूकंप से बचने के लिए सूत्र वाक्य का उल्लेख करते हुए साने कहते हैं कि भूकंप के समय रुको, झुको, ढको और बचो की नीति अपनानी चाहिए। हमें भूकंप के समय टेबल के नीचे घुसकर, या चौखट के नीचे खड़े होकर खुद को बचाना चाहिए। सिर बच जाता है तो बचने की उम्मीद बढ़ जाती है। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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