डॉ टी.वी. वेंकटेश्वरन / उमाशंकर मिश्र
नई दिल्ली,
एक दुर्लभ खगोलीय घटना, वलयाकार सूर्य ग्रहण, जिसे लोकप्रिय रूप से 'रिंग ऑफ फायर' ग्रहण भी कहा जा रहा है, रविवार 21 जून 2020 को दुनिया इसका गवाह बनेगी। यह सूर्य ग्रहण ग्रीष्म अयनांत के दिन हो रहा है, जो उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है।
सूर्य जब उत्तर-पूर्व या फिर दक्षिण-पूर्व में अपने शीर्ष बिंदु पर होता है, तो उसे अयनांत (Solstice) कहते हैं। अनूपगढ़, सूरतगढ़, सिरसा, जाखल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, देहरादून, तपोवन और जोशीमठ से होकर गुजरने वाले वलयाकार ग्रहण के संकरे मार्ग के आसपास रहने वाले लोग सूर्य ग्रहण के वलयाकार स्वरूप को देख सकते हैं, जबकि शेष भारत के लोग आंशिक ग्रहण ही देख सकेंगे।
चंद्रमा जब सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है, तो पृथ्वी की सतह पर छाया पड़ती है। ऐसे में, सूर्य पूरी तरह से चंद्रमा द्वारा बेहद छोटी-सी अवधि के लिए ढंक जाता है। सूर्य ग्रहण के दौरान पृथ्वी पर बनने वाली चंद्रमा की पूर्ण छाया वाले अपेक्षाकृत अधिक अंधेरे हिस्से को प्रतिछाया (Umbra ) और विसरित या हल्की छाया वाले क्षेत्र को उपच्छाया (Penumbra) कहा जाता है। सूर्य ग्रहण के दौरान प्रतिछाया वाले क्षेत्रों से पूर्ण ग्रहण और उपच्छाया वाले क्षेत्र से आंशिक ग्रहण दिखाई देता है। सभी सूर्य ग्रहणों के दौरान सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी क्रमशः पूरी तरह से एक सीधी रेखा में नहीं हो सकते हैं, और ऐसी स्थिति में केवल आंशिक ग्रहण होता है। जब तीनों खगोलीय पिंड एक सीधी रेखा में होते हैं, तो हमें पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई देता है।
इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी ऐंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे के वैज्ञानिक समीर धुर्दे ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि "वलयाकार सूर्य ग्रहण; पूर्ण सूर्य ग्रहण से संबंधित एक विशिष्ट स्थिति को कहते हैं। पूर्ण सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के साथ एक सीधी रेखा में होता है। हालाँकि, उस दिन, चंद्रमा का आकार स्पष्ट रूप से सूर्य से छोटा दिखाई देता है। चंद्रमा सूर्य के मध्य भाग को कवर कर लेता है, और सूर्य का किनारा कुछ क्षणों के लिए आकाश में 'रिंग ऑफ फायर' (आग के अंगूठी) की तरह दिखाई देता है।"
ग्रहण के समय पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी ग्रहण के प्रकार को निर्धारित कर सकती है। चंद्रमा की अंडाकार कक्षा के कारण पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी हमेशा बदलती रहती है। इसका मतलब है कि एक ऐसा समय भी आता है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है और आकाश में आकार में अपेक्षाकृत रूप से बड़ा दिखाई देता है। इसी तरह, जब यह पृथ्वी से दूर होता है तो आकार में थोड़ा छोटा दिखाई देता है। संयोग से, 21 जून 2020 को होने वाले ग्रहण के दौरान चंद्रमा का आकार सूर्य की तुलना में 1% छोटा दिखाई देगा।
सूर्य ग्रहण की शुरुआत में, सूर्य किसी काटे हुए सेब की तरह एक विशिष्ट आकृति में दिखाई देता है। ऐसे में, सूर्य का एक छोटा-सा हिस्सा चंद्रमा की डिस्क से ढक जाता है। इसके बाद, धीरे-धीरे और लगातार चंद्रमा की डिस्क सूर्य के बड़े हिस्से को ढंकने लगती है। एक संकरे ट्रैक, जिस पर चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर वलयाकार सूर्य ग्रहण के दौरान पड़ती है, वहाँ लोग सूर्य पर चंद्रमा के पारगमन और सूर्य के मध्य भाग को कवर होते हुए देख सकते हैं। हम जानते हैं कि चंद्रमा पूरे सूर्य को ढंकने में सक्षम नहीं है, इसलिए वलयाकार सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा के चारों ओर सूरज की रोशनी की एक चमकदार अंगूठी जैसा दृश्य दिखाई देता है। इसी वजह से, इस ग्रहण को "रिंग ऑफ फायर" नाम दिया गया है।
एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की पब्लिक आउटरीच ऐंड एजुकेशन कमेटी के अध्यक्ष अनिकेत सुले ने बताया कि "अगर हम इस अवसर पर चूक जाते हैं, तो भारत में हमें अगले सूर्य ग्रहण को देखने के लिए लगभग 28 महीने तक इंतजार करना होगा। 25 अक्तूबर 2022 को लगने वाला अगला सूर्य ग्रहण, जो एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, भारत में दिखाई देगा। यह भारत के पश्चिमी भाग में दिखाई देगा।"
यह भी हमें पता है कि सूर्य एक बहुत चमकदार पिंड है, और इसे सीधे देखने से आँखों को गंभीर नुकसान हो सकता है। इसीलिए, सूर्य को देखने के लिए विशेष प्रकार के चश्मे बनाए जाते हैं। इन चश्मों से सूर्य की रोशनी छनकर आती है और हम सुरक्षित रूप से सूर्य ग्रहण को देख पाते हैं।
नेहरू तारामंडल, मुंबई के निदेशक अरविंद परांजपे कहते हैं- "एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की पब्लिक आउटरीच ऐंड एजुकेशन कमेटी और अन्य खगोलीय संस्थान, तारामंडल एवं विज्ञान लोकप्रियकरण में जुटी एजेंसियां प्रायः सूर्य ग्रहण को सुरक्षित रूप से देखने का प्रबंध करती हैं। हालाँकि, इस बार लॉकडाउन के कारण हम सौर फिल्टर उपलब्ध नहीं करा पाए हैं। हम दृढ़ता से लोगों को सलाह देते हैं कि महामारी की स्थिति को देखते हुए ग्रहण को देखने के लिए बड़ी संख्या में इकट्ठा न हों। सुरक्षा के लिहाज से अपने घर से ही ग्रहण को देखना बेहतर होगा।"
उन अफवाहों का हवाला देते हुए कि ग्रहण कोरोना वायरस के अंत को चिह्नित करेगा, अनिकेत सुले कहते हैं- "सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य के सामने कुछ समय के लिए आता है। हम देखते हैं कि ग्रहण पृथ्वी पर साल में 2 से 5 बार होते हैं। ग्रहण पृथ्वी पर सूक्ष्मजीवों को प्रभावित नहीं करते हैं। इसी तरह, ग्रहण के दौरान बाहर निकलने और भोजन करने में कोई खतरा नहीं होता है। यह भी आपको पता होना चाहिए कि कोई भी रहस्यमय किरणें ग्रहण के दौरान सूर्य से नहीं निकलती हैं।
"ग्रहण देखने के लिए टिप्स: -
• ग्रहण देखने के लिए सामान्य चश्मे, आवरण रहित एक्स-रे शीट या फिर कालिख लगे शीशे का उपयोग सुरक्षित नहीं है। पानी में सूर्य की परछाई देखना भी सही नहीं है।
• वेल्डर्स ग्लास #13 या #14 का उपयोग सूर्य को खुली आँखों से सीधे देखने के लिए किया जा सकता है।
• एक कार्ड शीट में छेद करें और उसे सूर्य के नीचें पकड़ें। कुछ दूरी पर एक सफेद कागज की स्क्रीन रखें। सूर्य की छवि इस शीट पर देखी जा सकती है। शीट एवं स्क्रीन की दूरी को समायोजित करके छवि को बड़ा किया जा सकता है।
• किसी झाड़ी या एक पेड़ की छाया को देखें। पत्तों के बीच रिक्त स्थान किसी छेद की तरह कार्य करते हैं, जिसमें से होकर सूर्य ग्रहण की कई छवियां जमीन पर देखी जा सकती हैं। आप ऐसे चित्र बनाने के लिए एक छलनी का उपयोग भी कर सकते हैं।
• एक कॉम्पैक्ट मेकअप किट मिरर लें और उसे काले पेपर, जिसके बीच में छेद किया गया हो, से कवर करें। छाया में कुछ दूरी पर स्थित किसी दीवार पर सूर्य की छवि को प्रतिबिंबित करें। इस तरह, आप ग्रहण की प्रक्षेपित या प्रोजेक्टेड छवि प्राप्त कर सकते हैं।
कुछ अन्य सूचनात्मक टिप्स :-
भुज भारत का पहला शहर होगा, जहां सुबह 9.58 मिनट पर सूर्य ग्रहण का आरंभ देखा जा सकेगा। इसके चार घंटे बाद दोपहर के 2.29 बजे असम के डिब्रूगढ़ में यह समाप्त होगा। देश की पश्चिमी सीमा पर मौजूद घरसाणा भारत में वह पहला स्थान होगा, जहाँ सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर पहली बार वलयाकार सूर्य को देखा जा सकेगा। यह दृश्य 30 सेंकेंड तक रहेगा। उत्तराखंड की कलंका चोटी इस वलयाकार सूर्य ग्रहण का गवाह बनने वाला देश का अंतिम केंद्र होगी। दोपहर के 12 बजकर 10 मिनट पर वलयाकार सूर्य ग्रहण यहाँ देखा जा सकता है, जो करीब 10 सेकेंड तक रहेगा।
वलयाकार सूर्य ग्रहण – 21 जून 2020 तालिका-1 यहाँ दिखेगा वलयाकार सूर्य ग्रहण
स्थान |
आरंभ |
अधिकतम अंत |
अवधि |
देहरादून |
10:24 AM |
12:05 PM |
1:50 PM - 14.0 |
घरसाणा |
10:12 AM |
11:50 AM |
1:36 PM - 29.8 |
कलंका |
10:28 AM |
12:10 PM |
1:55 PM - 28.0 |
कुरक्षेत्र |
10:21 AM |
12:01 PM |
1:47 PM - 30.4 |
(चंद्रमा; सूर्य के 99.5 % हिस्से को ढंक लेगा।)
तालिका-2 यहाँ पर दिखेगा आंशिक सूर्य ग्रहण
स्थान |
आरंभ |
अधिकतम अंत |
आवरण (%) |
आगरा |
10:19 AM |
12:02 PM |
1:50 PM 90 |
अहमदाबाद |
10:03 AM |
11:41 AM |
1:32 PM 82 |
अमृतसर |
10:19 AM |
11:57 AM |
1:41 PM 94 |
बेंगलूरू |
10:12 AM |
11:47 AM |
1:31 PM 47 |
भुज |
09:58 AM |
11:33 AM |
1:23 PM 86 |
चेन्नई |
10:22 AM |
11:58 AM |
1:41 PM 46 |
डिब्रूगढ़ |
11:07 AM |
12:54 PM |
2:29 PM 89 |
गुवाहाटी |
10:57 AM |
12:45 PM |
2:24 PM 84 |
हैदराबाद |
10:14 AM |
11:55 AM |
1:44 PM 60 |
इंदौर |
10:10 AM |
11:51 AM |
1:42 PM 78 |
जयपुर |
10:14 AM |
11:55 AM |
1:44 PM 91 |
जपल |
10:15 AM |
11:56 AM |
1:44 PM 59 |
जोधपुर |
10:08 AM |
11:47 AM |
1:35 PM 91 |
कांधला |
09:59 AM |
11:35 AM |
1:24 PM 85 |
कन्याकुमारी |
10:17 AM |
11:41 AM |
1:15 PM 33 |
कोच्चि |
10:10 AM |
11:38 AM |
1:17 PM 40 |
कोलकाता |
10:46 AM |
12:35 PM |
2:17 PM 72 |
लेह |
10:29 AM |
12:06 PM |
1:47 PM 87 |
लखनऊ |
10:26 AM |
12:11 PM |
1:58 PM 88 |
माउंट आबू |
10:05 AM |
11:44 AM |
1:34 PM 87 |
मुंबई |
10:00 AM |
11:37 AM |
1:27 PM 70 |
नैनीताल |
10:25 AM |
12:08 PM |
1:54 PM 96 |
नांदेड़ |
10:11 AM |
11:53 AM |
1:42 PM 66 |
नई दिल्ली |
10:19 AM |
12:01 PM |
1:48 PM 95 |
पोर्ट ब्लेयर |
11:15 AM |
12:53 PM |
2:18 PM 39 |
पुणे |
10:02 AM |
11:40 AM |
1:30 PM 67 |
राजकोट |
09:59 AM |
11:35 AM |
1:25 PM 82 |
शिलांग |
10:57 AM |
12:46 PM |
2:24 PM 83 |
श्रीनगर |
10:23 AM |
11:59 AM |
1:40 PM 86 |
तिरुवनंतपुरम |
10:14 AM |
11:39 AM |
1:15 PM 35 |
उदयपुर |
10:07 AM |
11:47 AM |
1:36 PM 86 |
(इंडिया साइंस वायर)