नई दिल्ली, नेशनल हेराल्ड मामले (National Herald Case) में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के अधिकारी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से पूछताछ कर रहे हैं। ईडी ने उन्हें नोटिस भेजकर सोमवार को पूछताछ के लिए उपस्थिति होने को कहा था।
वह सोमवार सुबह 11 बजे प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर पहुंचे। इस केस में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी आरोपी हैं। नेशनल हेराल्ड केस में प्रर्वतन निदेशालय कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रहा है।
यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड ने कांग्रेस पर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण में धोखाधड़ी, साजिश और आपराधिक विश्वासघात का आरोप लगाया गया है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1937 में एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड बनाया था, जिसने तीन अखबार निकालने शुरू किए।
हिंदी में नवजीवन, उर्दू में कौमी आवाज़ और अंग्रेज़ी में नेशनल हेराल्ड. साल 2008 आते-आते एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड ने फैसला किया कि अब वह अखबार नहीं छापेगा।
पंडित नेहरू ने 1937 में सोसिएटेड जर्नल लिमिटेड बनाया एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड पर 90 करोड़ रुपयों का कर्ज चढ़ चुका था
साल 2010 में, वित्तीय चुनौतियों से जूझ रहे एजेएल का अधिग्रहण यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) नाम की एक नव-निर्मित कंपनी ने किया था।
सुमन दुबे और टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा YIL के निदेशक थे। आरोप है कि कांग्रेस ने 50 लाख के निवेश से यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक नॉट-फॉर-प्रॉफिट कंपनी बनाई, जिसमें 76% हिस्सेदारी राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी की थी।
बाकी 24% की हिस्सेदारी मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस की थी, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड का अधिग्रहण कर लिया।
सुब्रमण्यम स्वामी 2012 में इस मामले को अदालत लेकर गए साल 2012 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अदालत में एक जनहित याचिका फाइल की।
उन्होंने कांग्रेस पर नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड के अधिग्रहण में धोखाधड़ी का आरोप लगाया. सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी जनहित याचिका में अदालत से कहा कि मात्र 50 लाख रुपए खर्च करके 90 करोड़ रुपयों की वसूली कर ली गई। इनकम टैक्स एक्ट के हिसाब से कोई भी राजनीतिक पार्टी किसी थर्ड पार्टी के साथ पैसों का लेन-देन नहीं कर सकती।
स्वामी ने कोर्ट से कहा कि कांग्रेस ने पहले यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को 90 करोड़ का लोन दिया, जिस पैसे से इस कंपनी एजेएल का अधिग्रहण किया, फिर अकाउंट बुक्स में हेर-फेर करके उस रकम को 50 लाख दिखा दिया. यानी 89 करोड़ 50 लाख रुपए माफ कर दिए गए।