गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुईं 35 से ज्यादा मौतों के बाद पूरे देश में इन्सेफलाइटिस का खौफ है। हालांकि 15 से ज्यादा राज्य जापानी बुखार (इन्सेफलाइटिस) नामक इस घातक बीमारी से प्रभावित हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, साल 1978 से 2016 तक करीब 38 सालों में 9 हजार से ज्यादा बच्चों को अपनी जान गंवानी पड़ी, जबकि गोरखपुर में इस साल 2017 में दिमागी बुखार के चलते 111 मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है जबकि 106 बच्चों का मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। गोरखपुर में इन्सेफलाइटिस का पहला मामला 1977 में सामने आया था, तब से ही इस बीमारीका क़हर जारी है।
देश के 19 राज्यों के 171 जिलों में जापानी इन्सेफेलाइटिस का असर है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार सहित दूसरे राज्यों के 60 जिले इन्सेफेलाइटिस से ज्यादा प्रभावित हैं। इस बीमारी का प्रकोप साल के तीन महीने अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में सबसे ज्यादा होता है।
एक जानकारी के मुताबिक, अब तक इस बीमारी से यूपी के गोरखपुर समेत 12 ज़िलों में एक लाख से ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं। हालांकि जापानी बुखार कभी भी राजनीतिक मुद्दा नहीं बना। 2016 में पिछले सालों के मुकाबले इन्सेफलाइटिस से होने वाली मौतों की संख्या 15 फीसदी बढ़कर 514 हो गई। यह आंकड़ा सिर्फ गोरखपुर मेडिकल कॉलेज का है।
यह बीमारी भारत के 19 प्रदेशों में है और 40 साल से है। इनमें पूर्वी उत्तर प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, नगालैंड, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, झारखंड आदि प्रमुख हैं। सिर्फ पूर्वांचल में इस बीमारी से हर साल पांच से सात हज़ार लोगों की मौत हो जाती है।