Experts' opinion regarding policy rate : अंतरिम बजट के ठीक बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अल्पकालिक ऋण दर (Repo Rate) पर यथास्थिति जारी रखने की संभावना है। विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्रीय बैंक इस सप्ताह अपनी आगामी द्विमासिक मौद्रिक नीति में नीतिगत दरों में कोई बदलाव शायद ही करे, क्योंकि खुदरा मुद्रास्फीति अब भी संतोषजनक दायरे के ऊपरी स्तर के करीब है।
जुलाई 2023 में उच्च स्तर पर थी खुदरा मुद्रास्फीति : रिजर्व बैंक ने लगभग एक साल से अल्पकालिक ऋण दर या रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है। इसे आखिरी बार फरवरी 2023 में 6.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था।
खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई, 2023 में 7.44 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी और उसके बाद इसमें गिरावट आई है। हालांकि यह अब भी अधिक ही है। खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर, 2023 में 5.69 प्रतिशत थी। सरकार ने रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी सौंपी है।
6 फरवरी को शुरू होगी एमपीसी की 3 दिवसीय बैठक : आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक छह फरवरी को शुरू होगी। गवर्नर शक्तिकांत दास आठ फरवरी को समिति के फैसले की घोषणा करेंगे। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने अनुमान जताया कि एमपीसी दर और रुख, दोनों में यथास्थिति बनाए रखेगी। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि दिसंबर के आंकड़ों के मुताबिक मुद्रास्फीति अब भी ऊंची है और खाद्य पक्ष पर दबाव है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति कम होने का अनुमान है, हालांकि इसके लिए मानसून का रुख महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा, हमें आगामी समीक्षा में दरों या रुख में कोई बदलाव की उम्मीद नहीं है। अगस्त, 2024 में जाकर ही दर में कटौती देखी जा सकती है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour