Chief Minister Devendra Fadnavis News: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने बुधवार को कहा कि राज्य के छात्रों के लिए हिंदी सीखने की अनिवार्यता नए आदेश में हटा दी गई है और अब किसी भी भारतीय भाषा को तीसरी भाषा के रूप में चुना जा सकता है। फडणवीस ने देहू में कहा कि अंग्रेजी को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया जाता है, लेकिन भारतीय भाषाओं की अकसर उपेक्षा की जाती है। उन्होंने कहा कि भाषाओं को लेकर विवाद अनावश्यक है।
राज्य सरकार ने मंगलवार को एक आदेश जारी कर कहा था कि मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली कक्षा से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों को हिंदी सामान्य रूप से तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी। संशोधित सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में कहा गया है कि हिंदी अनिवार्य होने के बजाय सामान्य रूप से तीसरी भाषा होगी तथा यदि किसी स्कूल में प्रति कक्षा 20 विद्यार्थी हिंदी के अलावा किसी अन्य भारतीय भाषा का अध्ययन करने की इच्छा व्यक्त करते हैं तो उन्हें इससे बाहर रहने का विकल्प दिया गया है।
हिन्दी थोपने का आरोप : कुछ मराठी समर्थक संगठनों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह शुरू में पीछे हटने के बाद पिछले दरवाजे से नीति को पुनः लागू कर रही है। विपक्षी कांग्रेस ने सरकार पर मराठी लोगों की छाती में छुरा घोंपने का आरोप लगाया। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि छात्रों पर हिंदी थोपने की क्या जरूरत है? उन्होंने राज्य के स्कूलों से अपील की कि वे सरकार के जानबूझकर भाषायी विभाजन पैदा करने के गोपनीय एजेंडे को विफल करें।
फडणवीस ने कहा कि जीआर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मराठी अनिवार्य है, जबकि हिंदी वैकल्पिक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने पहले हिंदी को अनिवार्य कर दिया था, लेकिन मंगलवार को जारी किए गए सरकारी आदेश में उस अनिवार्यता को हटा दिया गया है। नए सरकारी आदेश के अनुसार, छात्र किसी भी तीसरी भारतीय भाषा का विकल्प चुन सकते हैं। नई शिक्षा नीति (एनईपी) में त्रि-भाषा फॉर्मूला प्रस्तावित किया गया है।
अब नियम हटाया : फडणवीस ने कहा कि नीति के अनुसार मातृभाषा अनिवार्य है और इसके अलावा छात्र दो अन्य भाषाएं सीखेंगे, जिनमें से एक भारतीय भाषा होनी चाहिए। फडणवीस ने कहा कि स्वाभाविक रूप से, कई लोग तीन भाषाओं में से एक के रूप में अंग्रेजी को चुनते हैं। उन्होंने कहा कि पहले हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में प्रस्तावित किया गया था क्योंकि इसके शिक्षक अच्छी संख्या में उपलब्ध हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने अब उस नियम को हटा दिया है। किसी भी भारतीय भाषा को तीसरी भाषा के रूप में चुना जा सकता है। यदि कम से कम 20 छात्र हैं, तो एक शिक्षक उपलब्ध कराया जाएगा। यदि आवश्यक हो तो ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा भी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जहां हर कोई अंग्रेजी को बढ़ावा देता है, वहीं भारतीय भाषाओं की अकसर उपेक्षा की जाती है, जो उचित नहीं है।
भारतीय भाषाएं अंग्रेजी से बेहतर : फडणवीस ने कहा कि भारतीय भाषाएं अंग्रेजी से बेहतर हैं। मैं समझता हूं कि अंग्रेजी संचार की भाषा है, लेकिन एनईपी की वजह से मराठी ज्ञान की भाषा बन गई है। हमने मराठी में इंजीनियरिंग पढ़ाना शुरू किया है, जो पहले नहीं किया जाता था। नए आदेश पर राज ठाकरे के विरोध पर फडणवीस ने कहा कि वह पहले ही मनसे प्रमुख से बात कर चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह (ठाकरे) इस बात पर जोर दे रहे हैं कि केवल दो भाषाएं पढ़ाई जानी चाहिए और तीसरी भाषा नहीं थोपी जानी चाहिए। मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की कि केंद्र ने काफी विचार-विमर्श के बाद एनईपी में त्रि-भाषा फॉर्मूला पेश किया है। उन्होंने कहा कि यदि पूरा देश त्रि-भाषा फॉर्मूले का पालन कर रहा है, तो महाराष्ट्र दो-भाषा प्रणाली नहीं अपना सकता।
तमिलनाडु सरकार को कोर्ट ने दिया था झटका : फडणवीस ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने त्रि-भाषा फॉर्मूले को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अदालत ने उसकी याचिका स्वीकार नहीं की। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि किसी तीसरी भारतीय भाषा को सीखने में क्या नुकसान है?
उन्होंने कहा कि एनईपी को देशभर के विशेषज्ञों द्वारा गहन विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है। एनईपी पर काम करते समय बच्चों की संज्ञानात्मक शक्ति, उनकी मानसिक क्षमताओं का विकास कैसे किया जाए, इन सभी बातों को ध्यान में रखा गया है। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala