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Live Updates: संसद में पास हुए कृषि बिल, पीएम मोदी ने बताया ऐतिहासिक क्षण

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, रविवार, 20 सितम्बर 2020 (16:15 IST)
नई दिल्ली। राज्यसभा ने रविवार को कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दी।बिल से जुड़ी हर जानकारी...



03:57 PM, 20th Sep
भारतीय कृषि इतिहास के लिए ऐतिहासिक क्षण, संसद द्वारा दो कृषि विधेयकों को पारित किये जाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा। उन्होंने कहा-  ये (कृषि) विधेयक क्षेत्र में पूर्ण बदलाव सुनिश्चित करेंगे और करोड़ों किसानों को सशक्त बनाएंगे।  दशकों तक बिचौलियों द्वारा किसानों को विवश रखा गया और तंग किया जाता रहा, संसद द्वारा पारित विधेयक उन्हें मुक्ति दिलाएगा। ये (कृषि) विधेयक किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयासों को गति देंगे और उनकी ज्यादा समृद्धि सुनिश्चित करेंगे। कृषि क्षेत्र को नवीनतम प्रौद्योगिकी की नितांत आवश्यकता है, किसानों तक उसकी पहुंच अब सुगम होगी, जिससे उत्पादन बढ़ेगा। मैं फिर दोहराना चाहूंगा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और सरकारी खरीद की व्यवस्था जारी रहेगी।

03:17 PM, 20th Sep
-कृषि विधेयक पास के होने के बाद राज्यसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित। विपक्षी नेता सदन में ही डटे। 

01:01 PM, 20th Sep
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-पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का केंद्र सरकार पर हमला, कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों को पूंजीपतियों का 'गुलाम' बना रहे हैं, जिसे देश कभी सफल नहीं होने देगा।
-राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में इस बिल को लेकर दो सवाल भी किए हैं। पहला कि APMC/किसान मार्केट खत्म होने पर MSP कैसे मिलेगा? और दूसरा कि इस विधेयक में MSP की गारंटी क्यों नहीं?


12:29 PM, 20th Sep
-कृषि बिल पर शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि देश में 70 फीसदी लोग खेती से जुड़े हैं। पूरे लॉकडाउन में किसान ही काम रहे थे। सरकार क्या भरोसा दे सकती है कि बिल के पास होने के बाद किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी और आगे देश में कोई भी किसान आत्महत्या नहीं करेगा।
-संजय राउत ने इसके साथ ही कहा कि पीएम मोदी ने कहा था कि बिल को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है। ऐसे में मैं पूछना चाहता हूं कि क्या अफवाह पर ही एक मंत्री ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।
 

12:27 PM, 20th Sep
-सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि ऐसा लगता है कि कोई मजबूरी है जिसके कारण सरकार जल्दबाजी में है।
-उन्होंने कहा कि दोनों महत्वपूर्ण विधेयक हैं और इन्हें लाने से पहले सरकार को विपक्ष के नेताओं, तमाम किसान संगठनों से बात करनी चाहिए थी। लेकिन उसने किसी से कोई बातचीत नहीं की। सरकार ने भाजपा से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ तक से बातचीत नहीं की।
-यादव ने सवाल किया कि किसान अपनी फसल बेचने कहां जाएगा? उन्होंने कहा कि अभी राज्यों को मंडियों से पैसा मिलता है लेकिन प्रस्तावित स्थिति में राज्य को पैसे नहीं मिलेंगे, ऐसे में राज्यों की क्षतिपूर्ति कैसे की जाएगी? इसका आकलन करने के लिए कोई प्रणाली भी नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक किसान विरोधी हैं।

12:27 PM, 20th Sep
-भाजपा के भूपेंद्र यादव ने कहा कि इन दोनों विधेयकों की परिस्थिति पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आजादी के समय शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की आय का अनुपात 2 : 1 (दो अनुपात एक) था जो अब 7 : 1 (सात अनुपात एक) हो गया है। उन्होंने सवाल किया कि ऐसा क्यों हो गया?
-उन्होंने कहा कि किसान 70 साल से न्याय के लिए तरस रहे हैं और ये विधेयक कृषि क्षेत्र के सबसे बड़े सुधार हैं। उन्होंने कहा कि दोनों विधेयकों से किसानों को डिजिटल ताकत मिलेगी और उन्हें उनकी उपज की बेहतर कीमत मिल सकेगी। इसके अलावा उन्हें बेहतर बाजार मिल सकेगा और मूल्य संवर्धन भी हो सकेगा।
-यादव ने कहा कि भारत में इतने बड़े पैमाने पर उत्पादन होने के बाद भी पांच प्रतिशत उत्पादन का खाद्य प्रसंस्करण हो पाता है। इसके अलावा विश्व व्यापार में भी हमारी हिस्सेदारी कम है। उन्होंने कहा कि जीडीपी में कृषि का योगदान 12 प्रतिशत का है और करीब 50 प्रतिशत आबादी सीधे तौर पर खेती पर आश्रित है।
-उन्होंने कहा कि 2010 में संप्रग सरकार के कार्यकाल में एक कार्यकारी समूह का गठन किया गया था और उसकी रिपोर्ट में अनुशंसा की गयी थी कि किसानों के पास विपणन का विकल्प होना चाहिए। उसी रिपोर्ट में कहा गया था कि किसानों के लिए बाजार प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।
-यादव ने आरोप लगाया कि अब कांग्रेस इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है और किसानों को रोकना चाहती है। उन्होंने इस आशंका को दूर करने का प्रयास किया कि एमएसपी समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है और इन विधेयकों का मकसद एकाधिकारी प्रवृति को समाप्त करना है।

12:09 PM, 20th Sep
-बीजू जनता दल (बीजद) ने अपने राज्यसभा सदस्यों को व्हिप जारी कर विवादित कृषि विधेयकों पर रविवार को चर्चा के दौरान सदन में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
-राज्यसभा में बीजद से मुख्य सचेतक सस्मित पात्रा ने कहा कि पार्टी सांसदों को तीन पंक्ति का व्हिप जारी कर पूरे दिन सदन में उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है।
-उन्होंने बताया कि बीजद सदस्यों से कहा गया कहा गया है कि राज्यसभा में उनकी उपस्थिति आवश्यक है क्योंकि आज सदन में महत्वपूर्व विधान कार्यों पर चर्चा होगी।

12:05 PM, 20th Sep
-आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी वाईएसआर कांग्रेस ने केंद्र सरकार के इन कृषि विधेयकों का समर्थन किया है। 
-सांसद विजयसाई रेड्डी ने कहा कि पिछली सरकारें बिचौलियों का समर्थन करती थीं। किसानों को अपने उत्पाद को लाइसेंस प्राप्त बिचौलियों और उनके कार्टेल से बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कांग्रेस को दलालों की पार्टी कहा, जिस कांग्रेस के सांसदों ने सदन में हंगामा किया।
-कांग्रेस के सांसद आनंद शर्मा ने इसे शर्मनाक करार दिया और उनसे बिना शर्त माफी मांगने को कहा।

11:40 AM, 20th Sep
-इससे पहले माकपा सदस्य के के रागेश और कुछ अन्य विपक्षी सदस्यों ने कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश, 2020 तथा कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अध्यादेश, 2020 को अस्वीकार करने के लिए संकल्प पेश किया।
- रागेश ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है, ऐसे में केंद्र सरकार इस प्रकार के फैसले कैसे ले सकती है। उन्होंने कहा कि अध्यादेश जारी होने के बाद ही पूरे देश में किसान संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से दोनों विधेयक एवं अध्यादेश वापास लेने की मांग की।
- इसके अलावा रागेश, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, द्रमुक के टी शिवा तथा कांग्रेस के केसी वेणुगापोल ने अपने संशोधन पेश किए तथा दोनों विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने की मांग की।


11:20 AM, 20th Sep
-राज्यसभा में कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक किसानों की आत्मा पर चोट हैं, यह गलत तरीके से तैयार किए गए हैं तथा गलत समय पर पेश किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अभी हर दिन कोरोना वायरस के हजारों मामले सामने आ रहे हैं और सीमा पर चीन के साथ तनाव है।
- बाजवा ने आरोप लगाया कि सरकार का इरादा एमएसपी को खत्म करने का और कार्पोरेट जगत को बढ़ावा देने का है। उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार ने नए कदम उठाने के पहले किसान संगठनों से बातचीत की थी?
- उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक देश के संघीय ढांचे के साथ भी खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि जिन्हें आप फायदा देना चाहते हैं, वे इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में नए कानूनों की जरूरत क्या है। उन्होंने कहा कि देश के किसान अब अनपढ़ नहीं हैं और वह सरकार के कदम को समझते हैं।
- बाजवा कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 तथा कृषक (सक्तिशकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 पर सदन में एक साथ हुयी चर्चा की शुरूआत कर रहे थे।
- बाजवा ने सवाल किया कि अगर सरकार के कदम किसानों के पक्ष में हैं तो भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी अकाली दल क्यों इसका विरोध कर रही है?
-कांग्रेस नेता ने 2015 की शांता कुमार समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को हो रहे घाटे को दूर करने के लिए सरकार कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के नए कदम से पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का सबसे ज्यादा नुकसान होगा।


11:10 AM, 20th Sep
-राज्यसभा में कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक किसानों की आत्मा पर चोट हैं, यह गलत तरीके से तैयार किए गए हैं तथा गलत समय पर पेश किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अभी हर दिन कोरोना वायरस के हजारों मामले सामने आ रहे हैं और सीमा पर चीन के साथ तनाव है।
- बाजवा ने आरोप लगाया कि सरकार का इरादा एमएसपी को खत्म करने का और कार्पोरेट जगत को बढ़ावा देने का है। उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार ने नए कदम उठाने के पहले किसान संगठनों से बातचीत की थी?
- उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक देश के संघीय ढांचे के साथ भी खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि जिन्हें आप फायदा देना चाहते हैं, वे इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में नए कानूनों की जरूरत क्या है। उन्होंने कहा कि देश के किसान अब अनपढ़ नहीं हैं और वह सरकार के कदम को समझते हैं।
- बाजवा कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 तथा कृषक (सक्तिशकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 पर सदन में एक साथ हुयी चर्चा की शुरूआत कर रहे थे।
- बाजवा ने सवाल किया कि अगर सरकार के कदम किसानों के पक्ष में हैं तो भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी अकाली दल क्यों इसका विरोध कर रही है?
-कांग्रेस नेता ने 2015 की शांता कुमार समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को हो रहे घाटे को दूर करने के लिए सरकार कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के नए कदम से पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का सबसे ज्यादा नुकसान होगा।


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