भोपाल। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि किसान अपनी मांगों के संबंध में सरकार से कोई बात नहीं करेंगे। किसानों की मांगें जायज हैं, सरकार को सीधे आदेश जारी करना चाहिए।
शर्मा ने आज से शुरू हुए 'गांव बंद आंदोलन' संबंध में यहां आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि देश के 130 किसान संगठनों के समूह राष्ट्रीय किसान महासंघ की महाराष्ट्र के वर्धा में हुई बैठक में इस आंदोलन का निर्णय लिया गया था। इसके अनुसार 1 जून से 10 जून तक कोई भी किसान गांव से फल, सब्जी, दूध आदि लेकर शहर नहीं जाएगा। पिछले वर्ष जो आंदोलन हुआ था, वही इस बार का आधार है।
आंदोलन में राजनीतिक दलों के हस्तक्षेप के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि महासंघ का कोई कार्यकर्ता राजनीतिक मंच पर नहीं जाएगा और न ही कोई राजनीतिक व्यक्ति महासंघ के मंच पर आएगा। जो महासंघ का समर्थन करना चाहे, वो बिना झंडे, बैनर और टोपी के आ सकता है।
उन्होंने बताया कि किसानों की मुख्य रूप से चार मांगें हैं। पहली लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य मिले, दूसरी किसानों को कर्ज माफी दी जाए, तीसरी अत्यंत लघु किसानों की आय सुनिश्चित की जाए और फल-सब्जी, दूध आदि पर लागत का डेढ़ गुना मूल्य मिले। शर्मा ने कहा कि आम जनता को परेशान करना हमारा उद्देश्य नहीं है। किसान परेशान हैं और आत्महत्या कर रहे हैं, उनकी मांगों के लिए यह आंदोलन है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले वर्ष 5 जून को उज्जैन में मुख्यमंत्री और एक संघ पोषित किसान संगठन ने प्रदेश के किसानों के साथ छल किया था, इसलिए आंदोलन के तहत 5 जून को विश्वासघात दिवस मनाया जाएगा। 6 जून को गोली चलाने से मृत किसानों की याद में शहादत दिवस और 8 जून को धिक्कार दिवस होगा। अंत में 10 जून को दोपहर दो बजे तक भारत बंद का आह्वान किया गया है। इसके बाद आगामी रूपरेखा तय की जाएगी।
शर्मा ने कहा कि किसान सड़क पर आते तो सरकार आंदोलन को सख्ती से दबा देती। आंदोलन हिंसक नहीं हो इसकी पूरी कोशिश की है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की मंशा आंदोलन को हिंसक बनाने की है। उन्होंने कहा कि आंदोलन के लिए कांग्रेस पर आरोप लगाकर सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच रही है। शर्मा ने कहा कि एक ओर सरकार पाकिस्तान से शक्कर ला रही है और यहां का गन्ना किसान रो रहा है। (वार्ता)