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Farmers Protest : किसान बोले- हमारे 'मन की बात' सुनें PM मोदी, नए कृषि कानूनों को बताया कोरोनावायरस से ज्यादा खतरनाक

हमें फॉलो करें Farmers Protest : किसान बोले- हमारे 'मन की बात' सुनें PM मोदी, नए कृषि कानूनों को बताया कोरोनावायरस से ज्यादा खतरनाक
, सोमवार, 30 नवंबर 2020 (20:08 IST)
नई दिल्ली। केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने सोमवार को कहा कि वे ‘निर्णायक’लड़ाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी आए हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। इधर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान जिन स्थानों पर एकत्र हैं, वहां से कोविड-19 के गंभीर प्रसार की आशंका है। 
 
पांचवें दिन भी डटे किसान : किसान सोमवार को पांचवें दिन भी राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं और दिल्ली के बुराड़ी मैदान में डटे रहे। इनमें से ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं। पश्चिमी उत्तरप्रदेश और राजस्थान से भी किसान उनका साथ देने पहुंचे हैं। दिल्ली के सभी पांच प्रवेश बिन्दुओं को बंद करने की चेतावनी दे रहे किसानों में से अनेक ने कहा कि वे कोरोनावायरस के प्रसार के बारे में जानते हैं, लेकिन केंद्र के नए कृषि कानून उनके लिए अधिक बड़ा खतरा हैं।
मोदी सुने उनकी मन की बात : प्रदर्शनकारी किसानों के एक प्रतिनिधि ने सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके ‘मन की बात’सुनें। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी मांगों से समझौता नहीं कर सकते। किसानों के प्रतिनिधि ने दावा किया कि यदि सत्तारूढ़ पार्टी उनकी चिंता पर विचार नहीं करती तो उसे भारी कीमत चुकानी होगी। उन्होंने कहा कि हम यहां निर्णायक लड़ाई के लिए आए हैं।’’
 
एक अन्य किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि आंदोलन को ‘दबाने’ के लिए अब तक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ लगभग 31 मामले दर्ज किए गए हैं। चढूनी ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जातीं, किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा।
 
शाह के प्रस्ताव को नकारा : केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसान संगठनों से बुराड़ी मैदान पहुंचने की अपील की थी और कहा था कि वहां पहुंचते ही केन्द्रीय मंत्रियों का एक उच्चस्तरीय दल उनसे बातचीत करेगा। किसानों के 30 से अधिक संगठनों की रविवार को हुई बैठक में किसानों के बुराड़ी मैदान पहुंचने पर 3 दिसम्बर की तय तारीख से पहले वार्ता की केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पेशकश पर बातचीत की गई, लेकिन हजारों प्रदर्शनकारियों ने इस प्रस्ताव को स्वीकारने से मना कर दिया और सर्दी में एक और रात सिंघू तथा टीकरी बार्डरों पर डटे रहने की बात कही। उनके प्रतिनिधियों ने कहा था कि उन्हें शाह की यह शर्त स्वीकार नहीं है कि वे प्रदर्शन स्थल बदल दें। उन्होंने दावा किया था कि बुराड़ी मैदान एक ‘खुली जेल’ है।
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संक्रमण फैलने का खतरा : विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान जिन स्थानों पर एकत्र हैं, वहां से कोविड-19 के गंभीर प्रसार की आशंका है, यहां अनेक किसानों ने मास्क नहीं पहन रखे हैं। प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि उनके लिए नए कृषि कानून कोरोना वायरस से अधिक बड़ा खतरा हैं। दिल्ली में हर रोज महामारी के मामले बढ़ने के बीच विशेषज्ञों की चिंता किसानों के जमघट के चलते और भी गहरा गई है।
 
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महामारी विज्ञान एवं संक्रामक रोग प्रभाग के प्रमुख डॉक्टर समीरन पांडा ने कहा कि प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हैं और जनस्वास्थ्य के नजरिए से मैं सुरक्षात्मक कदमों का ध्यान रखने का आग्रह करता हूं। ऐसा न होने पर यह बीमारी के गंभीर प्रसार का कारक बन सकता है।
दिल्ली सरकार ने की जांच : पंजाब के फरीदकोट से आए गुरमीत सिंह ने कहा कि हम कोरोना से तो बच सकते हैं, लेकिन हम इस क्रूर कानून से कैसे बचेंगे जो हमारी रोजी-रोटी छीन लेगा।’वहीं, दिल्ली सरकार के सात डॉक्टरों की एक टीम ने बुराड़ी मैदान में 28 नवंबर से अब तक 90 से अधिक किसानों की कोविड-19 संबंधी जांच की है। इस संबंध में एक चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि अब तक कोई व्यक्ति संक्रमित नहीं पाया गया है। मैदान में कई ई रिक्शा महामारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए घूम रहे हैं। प्रदर्शनकारियों को कई स्वयंसेवी मास्क बांट रहे हैं।
 
कोरोना से ज्यादा खतरनाक कानून : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर के के अग्रवाल ने कहा कि सरकार को किसानों को आंदोलन की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि सरकार के पास महामारी कानून के तहत ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने की शक्ति है जिससे संक्रमण फैल सकता है। भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहन) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उग्राहन ने पीटीआई से फोन पर कहा कि नए कृषि कानून कोरोना वायरस से अधिक खतरनाक हैं।
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छल का इतिहास रखने वाले फैला रहे हैं भ्रम : कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ देश में जगह-जगह हो रहे किसानों के आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे लेकर विपक्षी दलों पर करारा हमला करते हुए कहा कि छल का इतिहास रखने वाले लोग' नये 'ट्रेंड' के तहत पिछले कुछ समय से सरकार के फैसले पर भ्रम फैला रहे हैं।
 
प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के खजूरी गांव में छ: लेन मार्ग चौड़ीकरण के लोकार्पण अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि 'हम गंगाजल जैसी साफ नीयत से काम कर रहे हैं। आशंकाओं के आधार पर भ्रम फैलाने वालों की सचाई लगातार देश के सामने आ रही है। जब एक विषय पर इनका झूठ किसान समझ जाते हैं तो ये दूसरे विषय पर झूठ फैलाने में लग जाते हैं। चौबीसों घंटे उनका यही काम है। देश के किसान इस बात को भलीभांति समझते हैं।
कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर चलाया अभियान : कांग्रेस ने किसानों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए सोमवार को सोशल मीडिया पर अभियान चलाया। पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा और कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा और लोगों से किसानों का साथ देने की अपील की। 
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राहुल गांधी ने साधा निशाना : राहुल गांधी ने कहा कि यह ‘सत्य एवं असत्य की लड़ाई’ है जिसमें सभी को अन्नदाताओं के साथ होना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि अगर ये कानून किसानों के हित में हैं तो फिर किसान सड़कों पर क्यों हैं? कांग्रेस के ‘स्पीक अप फॉर फार्मर्स’ नामक सोशल मीडिया अभियान के तहत एक वीडियो जारी कर राहुल गांधी ने कहा कि देश का किसान काले कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ ठंड में अपना घर-खेत छोड़कर दिल्ली तक आ पहुंचा है। सत्य और असत्य की लड़ाई में आप किसके साथ खड़े हैं - अन्नदाता किसान या प्रधानमंत्री के पूंजीपति मित्र के साथ?’
उन्होंने कहा कि देशभक्ति देश की शक्ति की रक्षा होती है। देश की शक्ति किसान है। सवाल यह है कि आज किसान सड़कों पर क्यों है? वह सैकड़ों किलोमीटर चलकर दिल्ली की तरफ क्यों आ रहा है? नरेंद्र मोदी जी कहते हैं कि तीन कानून किसानों के हित में हैं। अगर ये कानून किसानों के हित में है तो किसान इतना गुस्सा क्यों है, वे खुश क्यों नहीं हैं? (भाषा)

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