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विदेशी अंशदान बिल संसद में पास, NGO को रखना होगा इन बातों का ख्याल

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, बुधवार, 23 सितम्बर 2020 (12:26 IST)
नई दिल्ली। राज्यसभा ने बुधवार को विपक्षी सदस्यों की गौर मौजूदगी में विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2020 को पारित कर दिया जिसमें गैर सरकारी संगठनों के विदेशी चंदे को व्यवस्थित करने का प्रावधान किया गया है।
 
लोकसभा ने इस विधेयक को इसी सप्ताह के प्रारंभ में पारित किया था। इस तरह से इस पर संसद की मुहर लग गई है। गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने विधेयक को पेश किया। इस पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए राय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक ही आधार की व्यवस्था से जुड़ा संशोधन लाया गया है।
 
उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि कोई भी संगठन हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को बाधित न करे और कोई खतरा पैदा नहीं हो। जिस उद्देश्य से संगठन को पैसा मिला है, उसी के लिए इस्तेमाल होना चाहिए। अगर कोई संस्था कानून के हिसाब से काम नहीं करती है तो उस स्थिति में उसे नोटिस देते हैं, उनका पक्ष सुनते हैं और फिर जरूरी होता है तो कानून के हिसाब से कार्रवाई करते हैं।
 
विधेयक में प्रस्ताव है कि किसी भी एनजीओ के पदाधिकारियों को एफसीआरए लाइसेंस के रजिस्ट्रेशन के लिए आधार नंबर देना अनिवार्य होगा और सरकारी कर्मचारियों के विदेश से धन प्राप्त करने पर रोक होगी।
 
इस विधेयक में केंद्र सरकार को किसी एनजीओ या संस्था को विदेशी अभिदाय विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) सर्टिफिकेट सरेंडर करने की अनुमति देने में सक्षम बनाने का प्रस्ताव किया गया है। इसमें कुल विदेशी चंदे में से 20 फीसदी से अधिक प्रशासनिक व्यय नहीं करने का प्रावधान किया गया है जबकि वर्तमान में यह सीमा 50 फीसदी है।
 
इसके तहत एनजीओ को विदेशी अनुदान के संबंध में दिल्ली में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में एक खाता खोलना होगा। राज्य मंत्री ने कहा कि इस खाते को खोलने के लिए संबंधित एनजीओ के पदाधिकारी को दिल्ली आने की जरूरत नहीं होगी। वह जहां है वहीं पर भारतीय स्टेट बेंक की शाखा में अपने कागजात जमा करेंगे और वहीं पर उसका सत्यापन किये जाने के बाद दिल्ली में खाता खुल जायेगा।
 
विदेशी अभिदाय विनियमन कानून (FCRA) एक राष्ट्रीय और आंतरिक सुरक्षा कानून है और यह सुनिश्चित करने के लिए है कि विदेशी धन भारत के सार्वजनिक, राजनीतिक एवं सामाजिक विमर्श पर हावी न हो।
 
विधेयक के उद्देश्य और कारणों के बारे में बताया गया है कि, विदेशी अभिदाय (विनियमन) अधिनियम, 2010 को लोगों या एसोसिएशन या कंपनियों द्वारा विदेशी योगदान के इस्तेमाल को नियमित करने के लिए लागू किया गया था। राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधि के लिए विदेशी योगदान को लेने या इसके इस्तेमाल पर पाबंदी है। यह कानून एक मई 2011 को लागू हुआ था और दो बार इसमें संशोधन हुआ।
 
वित्त अधिनियम, 2016 और वित्त अधिनियम 2018 में दो बार संशोधन हो चुका है। इसमें कहा गया है कि हर साल हजारों करोड़ों रुपए के विदेशी योगदान के इस्तेमाल और समाज कल्याण के काम में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए संशोधन किया जाना जरूरी है।
 
भारतीय जनता पार्टी के अरुण सिंह ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि देश में 22400 NGO हैं जिन्हें विदेशों से चंदा मिलता है। उन्होंने कहा कि गैर सरकारी संगठन गरीबों के उत्थान के लिए आए आए पैसे को ऐशोआराम पर खर्च करते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ एनजीओं ने विदेश में गलत तस्वीर पेशकर भारत की छवि खराब की है। (वार्ता)

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