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बड़ी खबर, 328 दवाओं पर सरकार ने लगाई रोक, जानिए क्‍या है कारण...

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, गुरुवार, 13 सितम्बर 2018 (10:50 IST)
सरकार ने 328 फिक्स डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) दवाओं पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इनमें कई ऐसी दवाएं हैं, जिन्हें लोग फटाफट आराम पाने के लिए खरीद लेते हैं, जिनमें कई दवाएं सिरदर्द, जुकाम, दस्त, पेट दर्द जैसी बीमारियों में ली जाती हैं। इन दवाओं को अब देश में बनाया या बेचा नहीं जा सकेगा।


खबरों के मुता‍बिक, कई ऐसी दवाएं हैं, जिन्हें लोग फटाफट आराम पाने के लिए खरीद लेते हैं, जिनमें कई दवाएं सिरदर्द, जुकाम, दस्त, पेट दर्द जैसी बीमारियों में ली जाती हैं। इन दवाओं को अब देश में बनाया या बेचा नहीं जा सकेगा। वैसे भी एफडीसी दवाएं मरीजों के लिए खतरनाक होती हैं और इन्‍हें कई देशों में बैन भी किया जा चुका है। ऐेसी ही 328 फिक्स डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) दवाओं के उत्पादन, बिक्री अथवा वितरण पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बुधवार को तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इसके अलावा मंत्रालय ने कुछ शर्तों के साथ छह एफडीसी के उत्पादन, बिक्री अथवा वितरण को भी प्रतिबंधित कर दिया है।

केंद्र सरकार ने मार्च 2016 में औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26ए के तहत मानव उपयोग के उद्देश्य से 344 एफडीसी के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद सरकार ने समान प्रावधानों के तहत 344 एफडीसी के अलावा पांच और एफडीसी को प्रतिबंधित कर दिया था। हालांकि इससे प्रभावित उत्पादकों अथवा निर्माताओं ने देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों और उच्‍चतम न्‍यायालय में इस निर्णय को चुनौती दी थी।

उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा 15 दिसंबर, 2017 को सुनाए गए फैसले में दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इस मसले पर दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड द्वारा गौर किया गया, जिसका गठन औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 5 के तहत हुआ था। बोर्ड ने इन दवाओं पर अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंप दी। दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड ने अन्य बातों के अलावा यह सिफारिश भी की कि 328 एफडीसी में निहित सामग्री का कोई चिकित्सीय औचित्य नहीं है और इन एफडीसी से मानव स्वास्थ्य को खतरा पहुंच सकता है।

बोर्ड ने सिफारिश की कि औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26ए के तहत व्यापक जनहित में इन एफडीसी के उत्पादन, बिक्री अथवा वितरण पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक है। सरकार ने जिन दवाओं पर रोक लगाई है, उनमें सेरिडॉन, डिकोल्ड, जिंटाप, सुमो, जीरोडॉल, फेंसिडील, विक्स एक्शन 500, कोरेक्स और कई तरह के एंटीबायोटिक्स, पेन किलर्स, शुगर और दिल के रोगों की दवाएं शामिल हैं। अभी और भी कई एफडीसी दवाएं हैं, जो देश में बिक रही हैं। माना जा रहा है कि सरकार 500 और एफडीसी पर रोक लगा सकती हैं।

गौरतलब है कि सरकार ने मार्च 2016 में 349 एफडीसी पर बैन लगा दिया था। दवा कंपनियां इस बैन के खिलाफ दिल्ली और अन्य हाईकोर्ट में चली गई थीं। दिल्ली हाईकोर्ट ने बैन को खारिज कर दिया था। इस पर सरकार और कुछ निजी हेल्थ संगठन उच्‍चतम न्‍यायालय चले गए। उच्‍चतम न्‍यायालय ने सरकार से बैन की गई दवाओं की जांच के लिए एक कमेटी बनाने और रिपोर्ट देने को कहा था। इस पर ड्रग टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड ने एक कमेटी का गठन किया। कमेटी ने 343 दवाओं पर लगाए गए बैन को जायज करार दिया और छह के निर्माण और बिक्री के लिए कुछ शर्तें लगा दीं। सरकार ने इनमें से 328 को ही बैन किया है।

क्या होती हैं एफडीसी दवाएं : एफडीसी दवाएं वह होती हैं, जिन्हें दो या उससे ज्यादा दवाओं को मिलाकर बनाया जाता है। इन दवाओं पर देश में एक लंबे समय से विवाद हो रहा है। हेल्थ वर्कर्स के साथ ही संसद की एक समिति ने भी इन पर सवाल उठाए हैं। समिति का कहना है कि ये बिना मंजूरी के और अवैज्ञानिक तरीके से बनाई गई हैं। इनमें कई एंटीबायोटिक दवाएं भी शामिल हैं। जिन एफडीसी पर विवाद हो रहा है, उन्हें भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल की मंजूरी के बिना ही देश में बनाया और बेचा जा रहा था। इन एफडीसी को राज्यों ने अपने स्तर पर मंजूरी दे दी थी। केंद्र इसे गलत मानता है। उसका कहना है कि किसी भी नई एलोपैथिक दवा को मंजूरी देने का अधिकार राज्यों को नहीं है।

इन देशों में है एफडीसी दवाओं पर प्रतिबंध : अमेरिका, जापान, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के साथ ही कई देशों में एफडीसी दवाओं पर प्रतिबंध है। भारत के साथ ही कई विकासशील देशों में ये बिकती हैं। देश में महज पुडुचेरी एक ऐसा राज्य है, जिसने एफडीसी दवाओं पर रोक लगाई है।

देश में एफडीसी दवाओं का कारोबार : प्रतिबंधित एफडीसी दवाओं का देश के संगठित दवा क्षेत्र में कुल कारोबार करीब 3800 करोड़ रुपए का है। यह भारत के फार्मा सेक्टर के कुल कारोबार का करीब 3 प्रतिशत है। इस प्रतिबंध के बाद कोरेक्स पर रोक से फाइजर के 308 करोड़ रुपए के कारोबार पर असर पड़ेगा। वहीं एबॉट के 480, मैकलॉड्स के 367, पैनडेम के 214, सुमो के 79 और जीरोडॉल के 72 करोड़ रुपए के कारोबार पर असर होगा।

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