श्रीलंका महंगाई से कंगाल हो गया है। देर रात वहां पूरे कैबिनेट ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। इमरजेंसी के बीच श्रीलंका में लगातार प्रदर्शन जारी है। ऐसे में भारत में भी श्रीलंका जैसी आर्थिक बदहाली की चिंताएं जताई जा रही हैं।
पीएम मोदी और नौकरशाहों की एक मीटिंग के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों ने राज्यों की अव्यावहारिक और लोकलुभावन योजनाओं पर चिंता जाहिर की है।
दलील दी गई है कि राज्यों की कई योजनाएं आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं हैं और वो उन्हें श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं। सूत्रों के हवाले से मीटिंग की ये बात सामने आ रही है। पीएम आवास पर हुई इस मीटिंग में NSA अजीत डोभाल, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा केंद्र सरकार के कई सीनियर आईएएस ऑफिसर शामिल हुए थे।
कोविड-19 महामारी के दौरान सचिवों ने जिस तरह से साथ मिलकर एक टीम की तरह काम किया, उसका उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उन्हें भारत सरकार के सचिवों के रूप में कार्य करना चाहिए, न कि केवल अपने संबंधित विभागों के सचिवों के रूप में और उन्हें एक टीम के रूप में काम करना चाहिए।
उन्होंने सचिवों से फीडबैक देने और सरकार की नीतियों में खामियों पर सुझाव देने के लिए भी कहा, जिनमें वे भी शामिल हैं जो उनके संबंधित मंत्रालयों से संबंधित नहीं हैं।
पीएम मोदी की सचिवों के साथ 9वीं बैठक में सूत्रों ने कहा कि 24 से अधिक सचिवों ने अपने विचार व्यक्त किए और प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी प्रतिक्रिया शेयर की, जिन्होंने उन सब को ध्यान से सुना, साल 2014 के बाद से प्रधानमंत्री की सचिवों के साथ यह नौवीं बैठक थी।
सूत्रों ने कहा कि दो सचिवों ने हाल के विधानसभा चुनावों में एक राज्य में घोषित एक लोकलुभावन योजना का उल्लेख किया जो आर्थिक रूप से खराब स्थिति में है। उन्होंने साथ ही अन्य राज्यों में इसी तरह की योजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि वे आर्थिक रूप से टिकाऊ नहीं हैं और राज्यों को श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं
बता दें, श्रीलंका वर्तमान में इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। लोगों को तेल, रसोई गैस के लिए लंबी लाइनों में लगना पड़ रहा है, आवश्यक चीजों की आपूर्ति कम है. साथ ही लोग लंबे समय तक बिजली कटौती के कारण हफ्तों से परेशान हैं।
सरकार की नाकामी के विरोध में पूरे देश में लोगों का हिंसक प्रदर्शन जारी है। सरकारी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया गया है। अब एक विदेशी न्यूज एजेंसी के हवाले से खबर है कि श्रीलंका के पूरे मंत्रिमंडल ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है। सिर्फ प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे सत्ता पर आसीन हैं।