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पिछड़ा वर्ग जनगणना की लड़ाई, अब हिन्दुओं पर आई

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा- तो हिन्दू भी आबादी के अनुपात में अपना हक लेंगे

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

backward class vs Hindutva news: बिहार में जातिगत जनगणना का मामला गरमा गया है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल इसे अपने लिए बड़ा दांव मान रहे हैं। हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस मामले को एक अलग ही मोड़ दे दिया है। यदि वे अपने दांव में सफल होते हैं तो विपक्ष को फायदे के बजाय नुकसान ज्यादा हो सकता है। 
 
दरअसल, प्रधानमंत्री ने इस मामले को 'हिन्दुत्व' से जोड़ दिया है। यदि वे अपने मकसद में सफल रहते हैं तो भाजपा के लिए यह दांव निश्चित ही काफी कारगर हो सकता है। छत्तीसगढ़ की चुनावी रैली में मोदी जातिगत जनगणना के मुद्दे पर विपक्ष को निशाने पर लेते हुए कहा कि ये कहते हैं कि जितनी आबादी, हक भी उतना ही मिलना चाहिए।
 
विपक्ष की इस रणनीति पर मोदी ने हिन्दू कार्ड खेलते हुए कहा कि यदि जितनी आबादी उतना हक की बाद आएगी तो क्या देश के हिन्दू भी आबादी के अनुपात में अपना हक लेंगे? इस तरह तो देश के संसाधनों पर पहला हक देश के हिन्दुओं का है। हालांकि उन्होंने कहा कि देश के संसाधनों पर पहला हक गरीबों का है। देश में सबसे बड़ी आबादी गरीबों की है। उन्होंने कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा कि वह हिन्दुओं को बांटने का काम कर रही है।

उन्होंने कांग्रेस को याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था‍ कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है और उसमें भी पहला हक मुसलमानों का। मोदी ने सवाल उठाया कि तो क्या अब कांग्रेस अल्पसंख्यकों के साथ भी धोखा करना चाहती है?
 
मोदी का हिन्दू कार्ड : राजद नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिन्दू कार्ड खेल रहे हैं। वहीं, कांग्रेस ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि पीएम का बयान जातिगत जनगणना के खिलाफ है। वहीं, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने ट्‍वीट कर कहा- कल (सोमवार को) जब से बिहार के जाति जनगणना के चौंका देने वाले आंकड़े सामने आए हैं, पूरे देश में जाति जनगणना की मांग जोर पकड़ रही है। मोदी साहिब की नींद उड़ी हुई है। 
 
बिहार में पिछड़ी आबादी 63 प्रतिशत : उल्लेखनीय है कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने 2024 के संसदीय चुनाव से कुछ महीने पहले सोमवार को अपने बहुप्रतीक्षित जाति सर्वेक्षण के नतीजे घोषित किए जिसमें खुलासा हुआ कि राज्य की कुल आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है।
 
जारी आंकड़ों के अनुसार राज्य की कुल आबादी 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिनमें सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग समूह ईबीसी (36 प्रतिशत) है और इसके बाद ओबीसी 27.13 प्रतिशत है। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि ओबीसी वर्ग समूह में यादवों की संख्या आबादी के लिहाज से सबसे अधिक है जो कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, यादव समूह से आते हैं।
 
अनुसूचित जाति यानी दलितों की संख्या राज्य में कुल आबादी का 19.65 प्रतिशत है और करीब 22 लाख (1.68 प्रतिशत) लोग अनुसूचति जनजाति से संबंधित हैं। शीर्ष अदालत ने 6 सितंबर को बिहार में जाति सर्वेक्षण को हरी झंडी देने के पटना उच्च न्यायालय के एक अगस्त के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई तीन अक्टूबर तक टाल दी थी।
 

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