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आधार नियमों के उल्लंघन पर होगा रोज 10 लाख रुपए का जुर्माना

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, बुधवार, 2 जनवरी 2019 (09:10 IST)
नई दिल्ली। सरकार ने आधार कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाली इकाइयों पर 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव किया है। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि यदि किसी कंपनी द्वारा नियमों के उल्लंघन का सिलसिला जारी रहता है तो एक करोड़ रुपए के अतिरिक्त उन पर प्रतिदिन 10 लाख रुपए अतिरिक्त का जुर्माना लगाने का भी प्रस्ताव है।


आधार को लेकर निजता संबंधी चिंताओं की वजह से कानून में संशोधन की योजना बनाई गई है। सूत्रों ने बताया कि सरकार का इरादा इसके तहत भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को अन्य नियामकों की तरह अधिक अधिकार देने का है। अभी आधार कानून के तहत यूआईडीएआई के पास किसी उल्लंघन करने वाली इकाई के खिलाफ प्रवर्तन कार्रवाई का अधिकार नहीं है।

प्रस्तावित बदलावों के तहत ऐसे बच्चे जिनके पास आधार है, उन्हें 18 साल की उम्र पूरी करने के छ: महीने के भीतर इस 12 अंक की बायोमीट्रिक संख्या को रद्द कराने का विकल्प होगा। किसी बच्चे के आधार नामांकन के लिए माता-पिता या अभिभावक की मंजूरी जरूरी होगी। आधार नहीं होने पर किसी भी बच्चे को सब्सिडी, लाभ या अन्य सेवाओं से वंचित नहीं रखा जा सकेगा।

प्रस्तावित संशोधनों में ‘वर्चुअल आईडी’ और आधार के इस्तेमाल के स्वैच्छिक और ऑफलाइन तरीके का भी प्रावधान होगा। लोकसभा में बुधवार को आधार कानून, भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम और धनशोधन रोधक कानून में संशोधन संबंधी विधेयक सूचीबद्ध है। सरकार को आधार कानून के तहत यूआईडीएआई कोष बनाने का भी प्रस्ताव है। इसके साथ ही यूआईडीएआई को आय पर कर छूट का भी प्रस्ताव है।

आधार कानून के उल्लंघन पर जुर्माने का प्रस्ताव करते हुए प्रावधानों के मसौदे में कहा गया है कि इसमें एक नई धारा जोड़ी जाएगी। इसके तहत आधार पारिस्थितिकी तंत्र में कानून, नियम, नियमनों तथा निर्देशों का उल्लंघन करने वाली इकाइयों पर जुर्माना लगाया जा सके। अधिकतम जुर्माना एक करोड़ रुपएतक होगा।

आधार पारिस्थितिकी तंत्र में नामांकन एजेंसियां, पंजीयक, अनुरोध करने वाली इकाइयां, ऑफलाइन सत्यापन करने वाली एजेंसियां आदि आती हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि यदि कोई इकाई जुर्माने के बाद भी उल्लंघन का सिलसिला जारी रखती है तो उस पर प्रतिदिन 10 लाख रुपए का अतिरिक्त जुर्माना लगाया जा सकता है।


अनधिकृत तरीके से केंद्रीय पहचान डाटा रिपॉजिटरी तक पहुंच तथा डाटा से छेड़छाड़ करने पर सजा की अवधि को मौजूदा के 3 साल से बढ़ाकर दस साल करने का भी प्रस्ताव है।

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