नई दिल्ली। भारत की पहली महिला फोटो पत्रकार होमी व्याराल्ला को गूगल ने एक खूबसूरत डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी है। व्याराल्ला को भारत के ब्रिटिश शासन से आजाद होने की अवधि के दौरान देश के बदलाव के दौर की तस्वीरें खींचने के लिए जाना जाता है। आमतौर पर पुरुषप्रधान माने जाने वाले इस पेशे में उन्होंने अपनी एक अलग छाप छोड़ी।
गूगल के डूडल में व्याराल्ला की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर बनाई गई है जिसमें वे लोगों की भीड़ के बीच अपने कैमरे से फोटो खींचते हुए दिखाई दे रही हैं।
गुजरात के नवसारी की रहने वाली व्याराल्ला जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स में आगे की पढ़ाई करने से पहले सेंट जेवियर कॉलेज से डिप्लोमा करने के लिए मुंबई आईं। फोटोग्राफी की दुनिया से उनकी पहचान 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में फोटोग्राफर उनके पति मानेकशॉ व्याराल्ला ने कराई।
व्याराल्ला ब्रिटिश सूचना सेवा में काम करने के लिए गईं और वे अपनी साइकल से दिल्ली के एक छोर से दूसरे छोर तक घूमीं। उनका मानना था कि एक अच्छी तस्वीर की अहम बात सही समय, कंपोजिशन और कोण होता है।
उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि एक ही समय पर 15 लोग एक चीज की तस्वीर खींच रहे होते हैं और सबकी अपनी शैली होती हैं लेकिन कोई एक ही होता है, जो सही क्षण और सही कोण से तस्वीर खींच पाता है।
फोटो पत्रकार के तौर पर उन्होंने उस क्षण की तस्वीर को अपने कैमरे में कैद कर अमर कर दिया था, जब देश के आजाद होने के बाद 15 अगस्त 1947 को लाल किले पर ध्वज फहराया गया। उन्होंने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री के अंतिम संस्कार के क्षणों को भी अपने कैमरे में कैद किया। उन्होंने महारानी एलिजाबेथ और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर की भारत की यात्रा की यादगार तस्वीरें भी खींचीं।
व्याराल्ला को वर्ष 2011 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्मविभूषण' से सम्मानित किया गया। उनका वर्ष 2012 में गुजरात के वडोदरा में 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया। (भाषा)