बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) की प्रथम चरण ठोस मोटर का स्थैतिक परीक्षण विफल रहा। इसरो सूत्रों ने कहा कि परीक्षण के 60 सेकंड बाद थरथराहट महसूस की गई और 'बकेट फ्लेंज' के पास 'नॉजल' बेकार हो गया। अधिकारियों ने कहा कि परीक्षण लगभग 110 सेकंड तक किया जाना था।
इसरो ने एसएसएलवी की पहली विकास उड़ान (डी1) को अप्रैल और मई में अंजाम देने की योजना बनाई थी, लेकिन अब समूचे कार्यक्रम की समीक्षा करनी पड़ेगी। अंतरिक्ष एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा कि एसएसएलवी प्रथम चरण एक नई ठोस मोटर है, नया डिजाइन है। नई मोटर का प्रदर्शन साबित करने के लिए जमीन पर इसका स्थैतिक परीक्षण किया जाता है। यदि यह सफल रहता है तो स्वीकृति के लिए ऐसा ही एक और परीक्षण किया जाता है। यदि दोनों परीक्षण सफल रहते हैं तो जमीन पर परीक्षण की और आवश्यकता नहीं होती तथा उड़ान के लिए इसी तरह की तीसरी मोटर को स्वीकार किया जाता है।
अधिकारी ने श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र में परीक्षण के विफल रहने के बारे में कहा कि हमें विफलता का असल कारण जानना होगा और डिजाइन में संशोधन करना होगा। यह पूछे जाने पर कि 2 स्थैतिक परीक्षण पूरे करने में इसरो को कितना समय लग सकता है, अधिकारी ने कहा कि इसमें 6 महीने लग सकते हैं। एसएसएलवी 2मीटर चौड़ा और 34 मीटर लंबा है, जो लगभग 120 टन वजन उठा सकता है। (भाषा)