नई दिल्ली। सीबीआई के पूर्व निदेशक और मणिपुर और नागालैंड के पूर्व राज्यपाल अश्विनी कुमार बुधवार देर रात शिमला में अपने आवास पर मृत पाए गए। वह 69 वर्ष के थे। समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से शिमला के पुलिस अधीक्षक मोहित चावला के मुताबिक, आत्महत्या से कुमार की मौत हो गई। सूत्रों ने कहा कि वह कई हफ्तों से उदास थे।
पुलिस ने कथित तौर पर एक सुसाइड नोट बरामद किया है, जो अंग्रेजी में लिखा है, जिसमें कहा गया है कि वह (कुमार) इस जीवन से अभिभूत हो गए थे। पुलिस अधिकारियों की एक टीम, और एक शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से कुमार के घर पर पहुंच गई है।
37 साल के करियर के दौरान अश्विनी कुमार अगस्त 2006 से लेकर जुलाई 2008 तक हिमाचल प्रदेश के डीजीपी पद पर रहे। इसके बाद उन्हें सीबीआई का चीफ नियुक्त किया गया। इस पद पर अश्विनी कुमार 2 अगस्त 2008 से 30 नवंबर 2010 तक रहे। इसके बाद उन्हें मणिपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इस पद पर अश्विनी कुमार जुलाई 2013 से दिसंबर 2013 तक रहे।
एजेंसी के निदेशक के रूप में विजय शंकर की जगह लेने वाले कुमार ने अपनी जांच शुरू की और दूसरी टीम बनाई जिसने पहले के निष्कर्षों का खंडन किया। इसमें माता-पिता की भागीदारी को खारिज कर दिया था। दूसरी टीम ने कहा कि हेमराज के साथ उसे खोजने के बाद उन्होंने आरुषि को मार डाला।
आरुषि के माता-पिता को 2013 में सीबीआई अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, लेकिन 2017 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया था। कुमार ने 2013 और 2014 के बीच नागालैंड के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया; उस अवधि में वह संक्षिप्त रूप से मणिपुर के राज्यपाल भी थे।