चेन्नई। भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन का रविवार को 86 वर्ष की आयु में चेन्नई में निधन हो गया। शेषन ने 1990 के दशक में देश में चुनाव सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और बड़ी ही कठोरता से आदर्श आचार संहिता का पालन कराया था।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पूर्व चुनाव आयुक्त का स्वास्थ्य पिछले कुछ वर्ष से ठीक नहीं था। दिल का दौरा पड़ने से रविवार रात करीब साढ़े नौ बजे उनका निधन हो गया।
अपनी स्पष्टवादिता के लिए प्रसिद्ध शेषन बढ़ती उम्र के कारण पिछले कुछ वर्ष से सिर्फ अपने आवास पर रह रहते थे। उनका बाहर आना-जाना लगभग ना के बराबर हो गया था।
शेषन 12 दिसंबर, 1990 से लेकर 11 दिसंबर, 1996 तक देश के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे और इस दौरान उन्होंने चुनाव सुधार की दिशा में काफी काम किया।
कहा जाता है कि शेषन ने अपने कार्यकाल में चुनाव में के दौरान बाहुबल और धन के महत्व को कम करने के लिए कठोर कदम उठाए। उनका जन्म केरल के पलक्कड़ जिले के तिरुनेल्लाई में हुआ था।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. कुरैशी ने ट्वीट किया, ‘यह बताते हुए दुख हो रहा है कि टी.एन. शेषन अब हमारे बीच नहीं रहे। वह आदर्श और अपने उत्तराधिकारियों के लिए प्रेरक थे। मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं।’
कांग्रेस नेता शशि थरुर ने ट्वीट किया, ‘चन्नेई में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन के निधन की सूचना से शोक संतप्त हूं। वह विक्टोरिया कॉलेज, पलक्कड़ में मेरे पिता के सहपाठी थे। वह साहसी बॉस थे जिसने चुनाव आयोग की स्वायत्ता को स्थापित किया।’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि शेषन बहुत अच्छे नौकरशाह थे जिन्होंने परिश्रम और निष्ठा के साथ देश की सेवा की। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘चुनावी सुधार की दिशा में उनके प्रयासों ने हमारे लोकतंत्र को और मजबूत तथा भागीदारीपूर्ण बनाया। उनके निधन से दु:ख हुआ। ओम शांति।’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के पक्षधर टी.एन. शेषन के निधन की सूचना से शोक संतप्त हूं। लोकतंत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं।’
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि शेषन ने भारत के चुनावी संस्थान को मजबूत बनाने में सुधारक की भूमिका निभाई है।
शाह ने ट्वीट किया, ‘पूर्व मुख्य आयुक्त टी.एन. शेषन के निधन की सूचना से दु:खी हूं। उन्होंने भारत की चुनावी संस्था के सुधार और उसे मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देश उन्हें हमेशा लोकतंत्र के पथप्रदर्शक के रूप में याद रखेगा। मेरी प्रार्थना उनके परिवार के साथ है।’
चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने शोक जताते हुए कहा कि उनके निधन के साथ ही एक युग की समाप्ति हो गई।