New Parliament House Controversy : लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर विपक्ष द्वारा खड़े किए गए विवाद को अनावश्यक बताया है। महाजन ने कहा कि संसद, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का मंदिर है और इसके नए भवन के उद्घाटन को लेकर दलगत राजनीति से बचा जाना चाहिए।
महाजन ने इंदौर में शुक्रवार को कहा, मुझे लगता है कि विपक्षी दलों के सांसद नए संसद भवन का विरोध (नैतिक रूप से) नहीं कर सकते। जो विपक्षी सदस्य आज नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं, वे मेरे लोकसभा अध्यक्ष रहने के दौरान मुझसे अक्सर शिकायत करते थे कि पुराने संसद भवन में जगह की कमी के चलते उन्हें सदन में बैठने में तकलीफ हो रही है।
उन्होंने कहा कि इस बात को लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा किया गया है कि नए संसद भवन का उद्घाटन किसे करना चाहिए। महाजन ने इस बात पर जोर दिया कि 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक सांसद होने के साथ ही लोकसभा में सदन के नेता भी हैं।
'ताई' के उपनाम से मशहूर 80 वर्षीय भाजपा नेता ने कहा, हर विषय में दलगत राजनीति को नहीं लाया जाना चाहिए। हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम कुछ अवसरों पर दलगत राजनीति से ऊंचा उठकर सोचें। संसद लोकतंत्र का मंदिर है और हमें नए संसद भवन के उद्घाटन के कार्यक्रम को इसी दृष्टि से देखना चाहिए।
महाजन ने कहा कि भविष्य में परिसीमन के बाद संसद में सीटों की संख्या बढ़ेगी, लिहाजा नया संसद भवन देश की जरूरत है और इसमें सांसदों के लिए बैठने की उचित व्यवस्था व अन्य सुविधाएं जुटाई गई हैं। उन्होंने कहा कि नए संसद भवन का उद्घाटन ऐतिहासिक अवसर होगा और वह इसमें शामिल होकर इसके एक-एक पल की गवाह बनेंगी।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, पुराने संसद भवन में कुछ सांसदों को मजाक में खंभा पीड़ित कहा जाता था क्योंकि उनकी सीट खंभों के ठीक पीछे थी। इस कारण मैं उन्हें अनुमति देती थी कि वे सदन में आगे आकर अपनी बात कह सकते हैं।
वरिष्ठ भाजपा नेता ने यादों के गलियारे में कदम रखते हुए बताया कि वह वर्ष 1989 में पहली बार लोकसभा सांसद बनने के बाद जब संसद भवन में दाखिल हुई थीं, तो उन्हें शुरुआत में याद ही नहीं रहता था कि गोल आकार के इस भवन के किस दरवाजे से उन्हें भीतर घुसना है और किस दरवाजे से बाहर निकलना है।
इंदौर से वर्ष 1989 से 2014 के बीच लगातार 8 बार लोकसभा चुनाव जीतने वाली महाजन ने बताया कि उन्होंने पहली बार संसद पहुंचने के बाद विजय चौक के एक फव्वारे के पास बड़े चाव से अपनी तस्वीर कुछ इस तरह खिंचाई थी कि इसमें संसद भवन का पूरा नजारा दिखाई दे।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)