कोलकाता। संयुक्त राष्ट्र के अंग खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने वर्ष 2030 तक विश्व को भुखमरी मुक्त रखने का लक्ष्य निर्धारित किया है और इस वर्ष की मुख्य विषयवस्तु 'प्रवास का भविष्य बदलें, खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण विकास में निवेश करिए' रखी गई है।
इस संगठन की स्थापना 16 अक्टूबर 1945 को हुई थी और उसी दिन की याद में प्रतिवर्ष विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर 150 देशों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है ताकि लोगों को भुखमरी की शिकार आबादी की तकलीफों से अवगत कराया जा सके और खाद्य सुरक्षा तथा सभी के लिए पोषक तत्वों से युक्त भोजन मुहैया कराने कर जरूरत पर बल दिया जा सके।
इस दिन का मुख्य फोकस इस बात पर है कि भोजन एक आधारभूत और बुनियादी मौलिक अधिकार है फिर भी विश्व में 80.5 करोड़ लोग दीर्घकालिक भुखमरी का शिकार हैं और 60 प्रतिशत महिला आबादी तथा पांच वर्ष से कम आयु के लगभग 50 लाख बच्चे रोजाना कुपोषण जनित रोगों के कारण मौतों का शिकार हो रहे हैं।
पूरे विश्व में इस समय अजीब माहौल है और बढ़ते आपसी संघर्षों तथा राजनीतिक अस्थिरता की वजह से घर छोड़कर अन्य क्षेत्रों में प्रवास करने की प्रवृति द्वितीय विश्व युद्ध के मुकाबले कहीं अधिक है। पूरे विश्व को प्रवास की समस्या से सामना करना पड़ रहा है और इसमें भुखमरी, गरीबी और बदलती मौसमी परिस्थितियों का भी योगदान है। रोजाना हो रहे प्रवास से जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसे देखते हुए वैश्विक स्तर पर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
गरीब आबादी का तीन चौथाई हिस्सा कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी गतिविधियों में सलंग्न है और बढ़ते प्रवास को रोकने का एकमात्र उपाय यही हो सकता है कि युवा आबादी को उनके गांवों या आसपास के क्षेत्रों में रोजगार जैसी सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए ताकि वे सुरक्षित महसूस कर सकें। ग्रामीण विकास के क्षेत्र में निवेश से अंतरराष्ट्रीय जगत प्रवास की समस्या को काफी हद तक हल कर सकता है तथा विस्थापित एवं बेघर हो चुके लोगों की समस्या का हल निकाल सकता है। (वार्ता)