नई दिल्ली। वैश्विक स्तर पर सोने की मांग कमजोर रहने और इसी गिरावट के बीच घरेलू स्तर पर जेवराती मांग सुस्त पड़ने से सोना सस्ता हो सकता है। भारत में पिछले साल की तुलना में इस साल सोने की मांग 12 प्रतिशत कम हुई है। साथ ही सोने के आयात में भी 41 प्रतिशत की कमी आई है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 की पहली तिमाही में भारत में सोने की मांग 12 प्रतिशत कम हुई है। यह 131.2 टन से घटकर सिर्फ 115.6 टन रह गई है। पहले जहां 34,400 करोड़ रुपए के सोने की मांग थी, वो जनवरी-मार्च के दौरान घटकर 31,800 करोड़ रुपए रह गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर भी सोने की मांग 7 प्रतिशत घटकर 1047 टन की बजाय 973 टन रही है, वहीं सोने के आयात में भी 4 प्रतिशत की कमी आई, जो 260 टन की तुलना में इस साल सिर्फ 153 टन हुआ और ज्वेलरी के लिए 99.2 टन की तुलना में सोने की मांग घटकर 87.7 टन रह गई। साथ ही सोने की रिसाइकलिंग 3 प्रतिशत घटकर 14.5 टन से 14.1 टन रह गई।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल इंडिया के एमडी सोमसुंदरम ने कहा कि ऊंची कीमतों की वजह से सोने की मांग घटी है। कमजोर रुपए से भारत में सोना महंगा हुआ है। उनका कहना है कि मांग घटने के पीछे जीएसटी का असर भी रहा है।
मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक, भारत में शादियों और दूसरे शुभ मुहूर्त के दौरान सोने और सोने से बनी ज्वेलरी की काफी मांग रहती है। पिछले साल की तुलना में इस बार जनवरी से मार्च ऐसे सिर्फ 7 मुहूर्त थे, जबकि पिछले साल इनकी संख्या 22 रही। ऊंची कीमतों के साथ ही कमजोर मांग की ये भी वजह है, क्योंकि ज्वेलर्स की ओर से मांग नहीं होने के चलते सोने का आयात भी कम हुआ है।
पिछले साल अक्षय तृतीया से इस साल अप्रैल तक सोने की कीमतों में 9 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यानी सोना एक साल में 9 प्रतिशत महंगा हुआ है। नौ वर्षों के एक आंकड़े के मुताबिक, मई 2011 में जहां सोने का भाव 18167 रुपए था, वहीं इस साल अप्रैल में 31535 रुपए प्रति दस ग्राम रहा।