Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में 45 किलोग्राम खरा सोने का इस्तेमाल किया गया, जिसकी कीमत करीब 50 करोड़ रुपए है। राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने शुक्रवार को बताया कि मंदिर में कुल 45 किलोग्राम खरा (24 कैरेट) सोने का इस्तेमाल किया गया है।
बृहस्पतिवार को राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल पर भगवान राम, देवी सीता और भाई लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न तथा राम भक्त हनुमान से सजे राम दरबार की पूरे विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। मिश्रा ने बताया कि मंदिर में इस्तेमाल किए गए सोने का अनुमानित मूल्य लगभग 50 करोड़ रुपए है। मंदिर के भूतल पर बने दरवाजों और भगवान राम के सिंहासन में बड़े पैमाने पर सोने का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा, शेषावतार मंदिर में सोने का काम अब भी जारी है।
सीमित संख्या में प्रवेश : उन्होंने बताया कि राम मंदिर के मुख्य ढांचे का निर्माण पूरा हो चुका है, लेकिन संग्रहालय, सभागार और अतिथि गृह समेत मंदिर परिसर के अन्य हिस्से अभी निर्माणाधीन हैं, जिनके दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। मिश्रा ने कहा कि बृहस्पतिवार को राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद, अब वहां लोगों के पहुंचने की व्यवस्था की जा रही है। फिलहाल, केवल सीमित संख्या में ही श्रद्धालुओं को राम दरबार में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी। इसके लिए श्रद्धालुओं को पास लेने होंगे जो निःशुल्क जारी किए जाएंगे। इस बीच, प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद से मंदिर में श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी भीड़ उमड़ रही है।
राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने कहा कि बृहस्पतिवार को मंदिर में सात विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह सम्पन्न हुआ। उन्होंने कहा कि गर्भगृह के ऊपर स्थित पहली मंजिल पर स्थापित मूर्तियों में बीच में राम दरबार, उत्तर-पूर्वी कोने में शिवलिंग, दक्षिण-पूर्वी कोने में गणपति, दक्षिणी भाग के मध्य में हनुमान, दक्षिण पश्चिमी कोने में सूर्य, उत्तर-पश्चिमी कोने में भगवती और उत्तरी भाग के मध्य में अन्नपूर्णा माता शामिल हैं।
श्रद्धालुओं को धैर्य रखने की सलाह : राय ने कहा कि भीषण गर्मी और धूप से बचने के लिए की गई सीमित व्यवस्थाओं के कारण कई श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। चंपत राय ने शुक्रवार को एक बयान में, श्रद्धालुओं को राम दरबार के दर्शन के लिए धैर्य रखने की सलाह दी, क्योंकि राम दरबार 20 फुट ऊंचा है, जिसके लिए करीब 40 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं और ऊपर जाने के लिए अभी पर्याप्त व्यवस्था नहीं हो पाई है, और लिफ्ट के निर्माण में समय लगेगा।
राय ने कहा कि बुजुर्ग श्रद्धालुओं के लिए लिफ्ट का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन इसके पूरा होने में समय लगेगा। प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण श्रद्धालुओं को राम दरबार के दर्शन के लिए इंतजार करना होगा और बारिश के मौसम के बाद दर्शन करना संभव हो सकता है। उन्होंने कहा कि अंतिम कार्य मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराना होगा, जो संभवतः अक्टूबर या नवंबर में मौसम अनुकूल रहने पर होगा। उन्होंने कहा कि तब तक छोटे-मोटे काम पूरे कर लिए जाएंगे।
पहले आरामदायक था रास्ता : बस्ती जिले से आए श्रद्धालु रामजी मिश्रा ने कहा कि गर्भगृह तक जाने का रास्ता बहुत लंबा है और रास्ते में बिछाए गए पत्थर धूप में बहुत गर्म हो जाते हैं। मैं भव्य मंदिर बनने से पहले अयोध्या जाता था और तब भगवान राम के दर्शन के लिए जाने का रास्ता छोटा और ज्यादा आरामदायक था। अब, दिन में पत्थर इतने गर्म हो जाते हैं कि उन पर चलने से पांव में छाले पड़ सकते हैं।
उनके साथी सुधाकर तिवारी ने कहा कि हालांकि, मंदिर ट्रस्ट ने रास्ते के कुछ हिस्सों पर लाल चटाई बिछा रखी है, लेकिन उनमें से कई फट गई हैं। राम मंदिर ट्रस्ट के एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि राम दरबार अभी आम लोगों के लिए नहीं खोला गया है। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट अपनी आगामी बैठक में, इस संबंध में निर्णय लेगा। राम मंदिर में दूसरा बड़ा समारोह बृहस्पतिवार को आयोजित किया गया। इससे पहले, पिछले साल 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और देश भर के कई गणमान्य लोगों की मौजूदगी में रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala