अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM) ने अब सशस्त्र आंदोलन की तैयारी के लिए पड़ोसी मुल्कों से हाथ मिलाकर माओवादियों को भाड़े पर लेने की तैयारी कर ली है। राज्य के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
एडीजी (लॉ ऐंड ऑर्डर) अनुज शर्मा ने कहा, 'हमें खुफिया एजेंसियों से जानकारी मिली है कि जीजेएम ने पड़ोसी मुल्कों से माओवादियों को भाड़े पर लिया है। ये लोग स्थिति को और विकट करने के लिए सरकारी संपत्तियों और वरिष्ठ पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को निशाना बना सकते हैं।'
हालांकि जीजेएम नेताओं ने माओवादियों से सहायता लेने के आरोपों को 'सिरे से खारिज' किया है। जीजेएम के महासचिव रोशन गिरि ने कहा, 'ये एकदम बेबुनियाद आरोप हैं। ये बयान हमारी छवि खराब करने और लोकतांत्रिक आंदोलन को निष्फल करने के लिए दिए जा रहे हैं।'
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कहा कि जीजेएम ने अपने कैडरों को प्रशिक्षण देने के लिए 25 से 30 माओवादियों को भाड़े पर लिया है। उन्होंने कहा, 'जीजेएम के पास हथियार और गोला-बारुद का बड़ा जखीरा है। उन्होंने पिछले कुछ साल में इसे इकट्ठा किया है और हमारे पास खुफिया रिपोर्ट हैं कि वे दार्जिलिंग में भूमिगत सशस्त्र आंदोलन चलाने की तैयारी कर रहे हैं।'
एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'सरकार किसी भी स्थिति से निपटने को तैयार है और किसी भी तरह के सशस्त्र संघर्ष से निपटने के लिए कदम उठाए गए हैं।'
जीजेएम की 38 दिन से चल रही अनिश्चितकालीन हड़ताल में पुलिस थानों और चौकियों पर हमले की खबरें हैं। खुफिया सूचना के बाद राज्य सरकार ने अनेक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को यहां भेजा है। इनमें वे अधिकारी भी शामिल हैं जिन्हें 2009 से 2012 तक बंगाल के जंगलमहल में माओवादी विरोधी अभियानों का लंबा अनुभव है। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी मनोज वर्मा को दार्जिलिंग का महानिरीक्षक नियुक्त किया गया है। उन्हें माओवादियों के खिलाफ अभियानों का गहरा अनुभव है। (एजेंसी)