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सरकार ने EPF पर ब्याज कम करने का फैसला वापस लिया

हमें फॉलो करें सरकार ने EPF पर ब्याज कम करने का फैसला वापस लिया
, शनिवार, 30 अप्रैल 2016 (01:01 IST)
नई दिल्ली। सरकार ने चौतरफा आलोचनाओं के बाद भविष्य निधि जमा पर 2015-16 के लिए 8.7 प्रतिशत ब्याज देने के फैसले को वापस ले लिया और 8.8 प्रतिशत ब्याज देने पर सहमति जताई। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) से जुड़ा यह तीसरा फैसला है, जिसे सरकार ने कर्मचारियों के दबाव के आगे झुकते हुए वापस लिया है।
श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने संवाददाताओं से कहा ‘मुझे खुशी है कि वित्त मंत्रालय 2015-16 के लिए भविष्य निधि पर 8.8 प्रतिशत की ब्याज दर देने पर सहमत हो गया है। हम 8.8 प्रतिशत ब्याज के बारे में जल्दी ही अधिसूचना जारी करेंगे।’
 
सूत्रों ने कहा कि ईपीएफओ की आय के बारे में नए आंकड़े सामने आने के बाद वित्त मंत्रालय ने अपना फैसला पलटा। इससे पहले, वित्त मंत्रालय ने 2015-16 के लिए ईपीएफओ के 8.8 प्रतिशत ब्याज देने के निर्णय को खारिज कर दिया था और 8.7 प्रतिशत ब्याज नियत किया था। वित्त मंत्रालय ने पूर्व के अधिशेष कोष का उपयोग कर तथा निष्क्रिय खातों की देनदारी को पूरा करने के लिए पर्याप्त राशि का प्रावधान नहीं करने की आशंका के आधार पर 8.7 प्रतिशत ब्याज को मंजूरी दी थी।
 
उसने कहा कि वित्त मंत्रालय का निर्णय पूरी तरह गणितीय आकलन पर आधारित था और सभी सदस्यों के हित में था।
चर्चा के दौरान श्रम मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि 2014-15 की आय अनुमान से अधिक रही और उसका उपयोग 8.8 प्रतिशत ब्याज देने में किया जाएगा।
 
पुन: यह भी स्पष्ट किया गया कि ईपीएफओ निष्क्रिय खातों में जमा मूल राशि तथा उस ब्याज के लिएअलग से प्रावधान कर रहा है और उसे सक्रिय खातों में वितरित नहीं किया जाएगा।
 
सूत्रों ने कहा कि इसके आधार पर वित्त मंत्रालय ने 8.8 प्रतिशत ब्याज को मंजूरी दी लेकिन मंत्रालय ने श्रम मंत्रालय को सलाह दी कि वह भविष्य के लिए आरक्षित कोष तैयार करे जो घटते ब्याज दर के दौर में कर्मचारियों को ब्याज दरों में कमी के प्रभाव से संरक्षण उपलब्ध कराने में मदद कर सकता है। 
 
इससे पहले सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि में नियोक्ता के हिस्से की निकासी पर कर्मचारी के 58 साल पूरे करने तक रोक लगाई थी। बाद में इस फैसले को वापस ले लिया गया था। इसके अलावा भविष्य निधि की निकासी पर एक हिस्से पर कर लगाने के फैसले को सरकार को वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा था। कर्मचारियों एवं उनके यूनियनों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर दोनों निर्णय वापस लिए गए।
 
मंत्री ने स्पष्ट किया कि उनकी अगुवाई वाले केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने 16 फरवरी, 2016 को चेन्नई में हुई बैठक में 2015-16 के लिए ईपीएफ पर 8.8 प्रतिशत की ब्याज दर की सिफारिश की थी। इससे ईपीएफ कोष में 673.85 करोड़ रपएका अधिशेष बचेगा।
 
दत्तात्रेय ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा था कि निष्क्रिय खातांे में कितना ब्याज डाला जाएगा। इस पर स्पष्ट कर दिया गया है कि 8.8 प्रतिशत की ब्याज दर का फैसला निष्क्रिय खातांे पर भी विचार करने के बाद लिया गया था।
 
उन्होंने सूचित किया कि ईपीएफओ हर साल 15 करोड़ खातों को अपडेट करता है। 18 मार्च, 2016 तक सिर्फ 2.89 लाख खातों को अपडेट किया जाना था। वित्त मंत्रालय के साथ विवाद के बारे में दत्तात्रेय ने कहा कि वित्त मंत्रालय सभी मंत्रालयों को सलाह देता है। जब ब्याज दरें गिर रही थीं तो उन्होंने हमें पत्र लिखा था और हमने उसी के अनुरूप ब्याज दर तय की थी। 
 
वित्त मंत्रालय के फैसले के खिलाफ 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने शुक्रवार को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया। इस घटनाक्रम पर ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के सचिव और ईपीएफओ के ट्रस्टी डी एल सचदेव ने कहा कि यह बहुत छोटा मुद्दा है। कई बड़े मुद्दे श्रमिकों को परेशान कर रहे हैं। इनमें ठेका श्रम, न्यूनतम मजदूरी, मूल्यवृद्धि तथा एकतरफा श्रम कानूनों में संशोधन शामिल है।
 
उन्होंने आगे कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली समिति ने पिछले साल अगस्त से ट्रेड यूनियनों से मुलाकात नहीं की है। समिति को ट्रेड यूनियनों के साथ सभी मुद्दों पर विचार-विमर्श करना होता है। 

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