ग्रेटा थनबर्ग। यह नाम पहले भी चर्चा में आया था, हाल ही में एक बार फिर से यह नाम चर्चा में है। इस लडकी ने कोरोना की वजह से जेईई नीट की परीक्षा को टाले जाने की बात का समर्थन किया है।
इस मौके पर जानते हैं आखिर कौन है ग्रेटा थनबर्ग।
ग्रेटा 3 जनवरी 2003 को स्टॉकहोम में पैदा हुई थी। उनकी मां मालेना एमान एक अन्तरराष्ट्रीय ओपेरा सिंगर हैं, जबकि पिता स्वांते थनबर्ग भी अभिनय की दुनिया का एक अच्छा खासा नाम हैं। 8 साल की उम्र में ग्रेटा ने जलवायु परिवर्तन के बारे में सुना और इसे लेकर उसने काम शुरू कर दिया।
दुनिया के सातवें सबसे अमीर और संपन्न देश स्वीडन में रहने वाली ग्रेटा थनबर्ग लंबे समय से ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ अभियान चलाती है। उसकी कोशिशों की वजह से ही पिछले साल उसके देश में हवाई यात्रा करने वालों की संख्या में करीब 8 प्रतिशत की कमी आई थी।
ग्रेटा पर्यावरण के संरक्षण के लिए आयोजित किए जाने वाले हर मंच पर नजर आती हैं। स्कूल से छुट्टी लेकर स्वीडन की संसद के सामने धरना प्रदर्शन करने से शुरूआत करने वाली ग्रेटा संयुक्त राष्ट्र के मंच से दुनियाभर के बड़े नेताओं को पर्यावरण को बर्बाद करने के लिए फटकार लगाती है। वो पर्यावरण की तरफ ध्यान नहीं देने के कारण आने वाले खतरों के बारे में भी जानकारी देती हैं।
11 साल में ग्रेटा अवसाद से घिर गई थी। लेकिन उसने नहीं हारी। उसने एस्परजर सिंड्रोम का भी मुकाबला किया। और इसकी वजह से आने वाली दिक्कतों के सामने घुटने टेकने की बजाय इसे अपनी हिम्मत बनाकर नये हौंसले के साथ पर्यावरण संरक्षण की अपनी मुहिम में जुट गई।
ग्रेटा ने शुरूआत अपने घर से ही की और अपने माता-पिता को मांसाहार नहीं करने और विमान से यात्रा न करने के लिए तैयार किया। मालेना को अपने संगीत कार्यक्रमों के लिए अकसर दूसरे देशों में जाना होता था और परिवहन के किसी अन्य साधन से पहुंचना संभव नहीं था, लिहाजा उन्होंने दुनिया को बचाने निकली अपनी बेटी के लिए ओपेरा सिंगर के अपने अन्तरराष्ट्रीय करियर का बलिदान कर दिया।
पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में ग्रेटा की इस पहल से उसका यह विश्वास पक्का हो गया कि अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो बदलाव लाया जा सकता है। 2018 में 15 वर्ष की उम्र में ग्रेटा ने स्कूल से छुट्टी ली और स्वीडन की संसद के सामने प्रदर्शन किया। उसके हाथ में एक बड़ी सी तख्ती थी, जिस पर बड़े अक्षरों में स्कूल स्ट्राइक फॉर क्लाइमेट लिखा था।
देखते ही देखते उसके अभियान में हजारों लोग शामिल हो गए। स्कूलों के बच्चे पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम में ग्रेटा के साथ हो गए। उसके बोलने का लहजे और शब्दों के चयन ने उसे अन्तरराष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता बना दिया। इस काम में सोशल मीडिया ने उसकी खासी मदद की। अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर उसे स्पीच के लिए बुलाया जाने लगा। मई 2019 में उसके भाषणों का संग्रह प्रकाशित हुआ, जिसे हाथों-हाथ लिया गया।