नई दिल्ली। मशहूर गीतकार और लेखक गुलजार ने उर्दू को मीठी जुबान बताते हुए आज कहा कि इस भाषा से लोगों के बीच तुरन्त रिश्ता कायम हो जाता है लेकिन इसकी लिपि अब खतरे में है, जिसे बचाये जाने की जरूरत है।
उन्होंने प्रसिद्ध सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान के साथ यहां उर्दू के तीन दिवसीय समारोह 'जश्ने रेख्ता' का उद्घाटन करने के बाद कहा, उर्दू इश्क, नजाकत, नफासत और तहजीब की जुबान है। इसमें जो मिठास है, वह शायद ही किसी जुबान में है। दो मुसाफिर अगर उर्दू में बात कर रहे हों तो सुनकर ही उनसे जुड़ाव कायम हो जाता है। अगर कोई लड़की उर्दू जुबान में बात कर रही हो तो मैं उससे शादी कर लूं। उर्दू ग़रीबी में भी नवाबी का मज़ा देती है। इस जुबान में कोई भीख भी मांगता है तो उठकर अदब के साथ उसके कासे (भिक्षापात्र) में भीख देने को जी चाहता है।
उन्होंने उर्दू जुबान में आ रहे बदलावों का जिक्र करते हुए कि दूसरी भाषाओं के सम्पर्क में आकर उर्दू में भी तब्दीलियां आ रही हैं। पाकिस्तान में पश्तो और पंजाबी के असर से उर्दू बदल रही है। इसी तरह भारत में भी दूसरी जुबानों के सम्पर्क से इसमें बदलाव हो रहे हैं। उन्होंने उर्दू की लिपि को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यह सिमटती जा रही है। इसके रस्मो उल खत (लिपि) को संभाल कर रखने की जरूरत है। कहीं यह खत्म न हो जाए।
गुलजार ने कहा कि उर्दू सिर्फ हिन्दुस्तान तक महदूद (सीमित) नहीं है। इसका एक पूरा मुल्क है। पाकिस्तान और उसके अलावा भी उर्दू की न जाने कितनी ही बस्तियां बसी हैं। इसकी मकबूलियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिन्दी फिल्मों में 80 प्रतिशत उर्दू होती है और आज जो हिन्दुस्तानी बोली जाती है, वह उर्दू ही है।
उन्होंने उर्दू जुबान को बढ़ावा देने के लिए समारोह के आयोजक रेख्ता फाउंडेशन के अध्यक्ष संजीव सर्राफ की सराहना करते हुए कहा कि अमीर खुसरो के बाद रेख्ता का जिक्र उन्होंने(संजीव) ही किया है। इसके लिए वह उनका शुक्रिया अदा करते हैं।
इस मौके पर गुलजार और उस्ताद अमजद अली खान ने उर्दू जुबान सीखने की चाह रखने वाले लोगों के लिए रेख्ता फाउंडेशन के ऑनलाइन उर्दू़- कामोजिश डॉट कॉम की भी शुरुआत की, जिसके माध्यम से व्यक्ति कहीं भी बैठे हुए कहीं भी उर्दू सीख सकता है। इसमें उर्दू के अल्फाज सुनकर उच्चारण सीखने की भी व्यवस्था है।
उस्ताद अमजद अली खान ने इस मौके पर कहा कि वह बेजुबान दुनिया के वासी हैं और साज़ ही उनकी आवाज़ है। वह आज तक किसी भी किताब को मुकम्मल नहीं कर पाये। उन्हें स्वर ही भाते हैं क्योंकि स्वर ही ईश्वर है।
उर्दू को तहज़ीब, तमीज़ और अदब की जुबान बताते हुए उन्होंने कहा कि यह किसी एक मज़हब की नहीं बल्कि पूरे हिन्दुस्तान की भाषा है। इसमें जो मोहब्बत, प्यार और नज़ाकत है, वह किसी और जुबान में नहीं है। भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लोग उर्दू से प्यार करते हैं। यह एक महासागर की तरह है, जिसे वह आज भी जानने और समझने की कोशिश करते हैं।
अमजद अली खान ने गुलजार की तारीफ करते हुए कहा,वह आज के 'ग़ालिब' हैं। उनके के साथ मेरा संबंध बहुत पुराना है। उन्होंने मुझ पर और दिग्गज शास्त्रीय गायक पंडित भीमसेन जोशी पर वृत्तचित्र बनाया है।
रेख्ता फांउडेशन के अध्यक्ष संजीव सर्राफ ने कहा कि लोग कहते हैं कि रेख्ता 2015 में शुरू हुआ लेकिन वास्तव में यह आठ सौ साल पुराना है और अमीर खुसरो ने इसकी शुरूआत की थी। उस समय इसे हिन्दवी कहा जाता था, जो बाद में रेख्ता कहलाई और फिर इसे उर्दू कहा गया। उन्होंने रेख्ता की कामयाबी का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले साल 48 लाख लोग इससे जुड़े। अभी इसमें 1700 शायरों की गजलों, नज्मों और कलाम का संकलन है, जिसकी तादाद बढ़ाकर 2300 करने की योजना है।
सर्राफ ने कहा कि अब रेख्ता डॉट कॉम पर तमाम कार्यक्रम लाइव किये जाएंगे, जिससे कार्यक्रमों में शरीफ नहीं हो पाने वाले लोग भी इनका लुत्फ ले सकें। इसके अलावा रेख्ता के ई बुक सेक्शन में तेईस हजार किताबें मौजूद हैं, जिन्हें लोग पढ़ सकते हैं। (वार्ता)