Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Gyanvapi Case: मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 1 अप्रैल को करेगा सुनवाई

इलाहाबाद HC के फैसले को दी गई चुनौती ज्ञानवापी केस

हमें फॉलो करें Gyanvapi campus survey
नई दिल्ली , रविवार, 31 मार्च 2024 (19:38 IST)
Gyanvapi Case : ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की उस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 1 अप्रैल को सुनवाई करेगा जिसमें मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में हिन्दुओं को पूजा की अनुमति देने वाले निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है।
 
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ हाईकोर्ट के 26 फरवरी के फैसले को चुनौती देने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करेगी। यह कमेटी वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करती है।
हाईकोर्ट ने कमेटी की याचिका खारिज कर दी थी जिसमें उसने जिला अदालत के 31 जनवरी के आदेश को चुनौती दी थी। जिला अदालत ने अपने आदेश में हिन्दुओं को तहखाने में पूजा करने की अनुमति दी थी।
 
हाईकोर्ट ने 26 फरवरी को मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि ज्ञानवापी के दक्षिणी तहखाने में स्थित "व्यास तहखाना" के अंदर पूजा पाठ रोकने का उत्तर प्रदेश सरकार का 1993 का निर्णय "अवैध" था।
 
उसने कहा था कि पूजा-पाठ को "बिना किसी लिखित आदेश के राज्य की अवैध कार्रवाई" द्वारा रोक दिया गया था और मस्जिद प्रबंधन कमेटी द्वारा दायर दो अपील खारिज कर दी थीं। कमेटी ने अपनी एक अपील में वाराणसी जिला न्यायाधीश के 17 जनवरी के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें जिला मजिस्ट्रेट को "व्यास तहखाने" का ‘रिसीवर’ नियुक्त किया गया था जबकि कमेटी ने दूसरी याचिका में 31 जनवरी के आदेश को चुनौती दी थी जिसके द्वारा न्यायाधीश ने वहां 'पूजा' करने की अनुमति दी थी।
 
हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि मस्जिद के "व्यास तहखाना" में पूजा जारी रहेगी, जो काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित है।
 
अदालत के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई थी कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल के दौरान एक हिंदू मंदिर के अवशेषों पर किया गया था।
जिला अदालत ने 31 जनवरी को फैसला सुनाया था कि एक हिंदू पुजारी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में मूर्तियों की पूजा कर सकता है। अब पूजा-अर्चना काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा नामित एक हिंदू पुजारी और याचिकाकर्ता शैलेन्द्र कुमार पाठक द्वारा की जा रही है। पाठक का दावा है कि उनके नाना सोमनाथ व्यास, जो एक पुजारी भी थे, ने दिसंबर 1993 तक तहखाने में पूजा-अर्चना की थी।
webdunia
उन्होंने कहा था कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में पूजा रोक दी गई थी।
 
निचली अदालत में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने याचिकाकर्ता की बात का विरोध किया था। उसने कहा था कि तहखाने में कोई मूर्ति मौजूद नहीं थी और इसलिए, 1993 तक वहां पूजा करने का कोई सवाल ही नहीं था। मुस्लिम पक्ष ने याचिकाकर्ता के इस दावे का भी खंडन किया था कि तहखाना उनके नाना के नियंत्रण में था।
 
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि ब्रिटिश शासन के दौरान भी तहखाने पर उनके परिवार का नियंत्रण था। एजेंसियां

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

चुनाव के कारण प्रधानमंत्री मोदी ने उठाया कच्चातिवु का मुद्दा : मल्लिकार्जुन खरगे