Hathras Stampede : 80 हजार की अनुमति थी, जुट गए 2.5 लाख से ज्यादा, FIR में भोले बाबा का नाम नहीं
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मृतकों में 108 महिलाएं : पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एटा और हाथरस जिलों के अलावा आगरा, संभल, ललितपुर, अलीगढ़, बदायूं, कासगंज, मथुरा, औरैया, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बुलंदशहर, हरियाणा के फरीदाबाद और पलवल, मध्यप्रदेश के ग्वालियर, राजस्थान के डीग आदि जिलों से लोग सत्संग में पहुंचे थे। खासतौर से बाबा के समागम में जाने वाली अधिकांश महिलाएं हैं। बताया जा रहा है कि 116 मृतकों में 108 महिलाएं हैं।
FIR में बाबा का नाम नहीं : पुलिस ने सत्संग में भगदड़ को लेकर एफआईआर दर्ज कर ली है। इसमें भोले बाबा का नाम नहीं है। कार्यक्रम के आयोजक देवप्रकाश मधुकर को आरोपी बनाया गया है।
80 हजार की अनुमति : मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने दावा किया कि कार्यक्रम के लिए 80 हजार लोगों की परमिशन मांगी गई थी। जबकि पर वहां अनुमति से कहीं ज्यादा लोग मौजूद थे। घटनास्थल पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। भोले बाबा के वाहन के पीछे अनुयायी दौड़ रहे थे। यह भी कहा गया है कि लोग उनके जाने के बाद, वहां की मिट्टी लेकर पूजा करते हैं। नतीजतन, लोग झुकने लगे और बाद में वे गिर गए जिससे भगदड़ मची।
कौन हैं भोले बाबा : कासगंज जिले के पटियाली थाना क्षेत्र के बहादुर नगर के मूल निवासी करीब 70 वर्षीय भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति (एससी) के सूरजपाल ने करीब दो दशक पहले पुलिस की नौकरी छोड़कर आध्यात्म की ओर रुख किया और भोले बाबा बनने के बाद उनके भक्तों की संख्या बढ़ने लगी। उनके सत्संग में बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं।
पटियाली के पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) विजय कुमार राना ने बताया कि भोले बाबा बहादुर नगर के रहने वाले हैं और करीब दो दशक पहले पुलिस की नौकरी छोडकर सत्संग करने लगे।
सुरक्षा के लिए वालंटियर : हाथरस के एक जानकार ने बताया कि बाबा प्रवचन देते हैं और सुरक्षा व्यवस्था के लिए अपने वालंटियर रखते हैं, जो उनके सत्संग की व्यवस्था संभालते हैं। बाबा के बहादुर नगर के आश्रम स्थापित होने के बाद गरीब और वंचित तबके के बीच में उनकी प्रसिद्धि तेजी से बढ़ी और लाखों की संख्या में उनके अनुयायियों बन गए।
नारायण हरि की एक खासियत यह है कि वह भगवा वस्त्र नहीं पहनते हैं, बल्कि सफेद सूट और टाई पहनना पसंद करते हैं। उनका दूसरा पसंदीदा परिधान कुर्ता-पायजामा है। अपने प्रवचनों के दौरान वह कहते हैं कि उन्हें जो दान दिया जाता है, उसमें से वे कुछ भी नहीं रखते और उसे अपने भक्तों पर खर्च कर देते हैं। (एजेंसियां)
Edited by : Nrapendra Gupta