नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय सशस्त्र बलों में भर्ती संबंधी केंद्र की 'अग्निपथ' योजना के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं पर बुधवार, 25 अगस्त सुनवाई करेगा, क्योंकि उसे उच्चतम न्यायालय द्वारा यहां स्थानांतरित की गई याचिकाओं से जुड़े दस्तावेज अभी तक नहीं मिले हैं।
उच्च न्यायालय को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सूचित किया कि शीर्ष अदालत ने 19 जुलाई को योजना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को स्थानांतरित कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने अपने समक्ष लंबित उन सभी जनहित याचिकाओं को मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को स्थानांतरित कर दिया था जिनमें सशस्त्र बलों में भर्ती से जुड़ी केंद्र सरकार की 'अग्निपथ' योजना को चुनौती दी गई थी।
शीर्ष अदालत ने केरल, पंजाब एवं हरियाणा, पटना और उत्तराखंड उच्च न्यायालय से इस योजना के खिलाफ उनके यहां दायर सभी जनहित याचिकाओं को या तो दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने या फिर उन पर तब तक फैसला निलंबित रखने को कहा था, जब तक दिल्ली उच्च न्यायालय अपना निर्णय नहीं कर लेता।
दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने बुधवार को कहा कि स्थानांतरित याचिकाएं उसके पास नहीं पहुंची हैं। मामले को 2 सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। अदालत मामले पर अब 25 अगस्त को सुनवाई करेगी।
गौरतलब है कि सरकार ने 14 जून को 'अग्निपथ' योजना की घोषणा की थी। योजना के तहत साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष तक की आयु के युवाओं को 4 साल के कार्यकाल के लिए सशस्त्र बलों में शामिल किया जाएगा। इनमें से 25 प्रतिशत को बाद में नियमित सेवा में शामिल किया जाएगा। सरकार ने बाद में वर्ष 2022 के लिए इस योजना के तहत भर्ती के वास्ते ऊपरी आयु सीमा को 21 वर्ष से बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया था।