छात्रों के लिए छुट्टी के दिन भी हुई सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
ऐसे कई मौकों पर शीर्ष अदालत ने अपने दरवाजे खोले हैं
- सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों के एमबीबीएस छात्रों का मामला
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पश्चिम बंगाल सरकार तथा मूल याचिकाकर्ता को जारी किए नोटिस
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उच्च न्यायालय ने एक आदेश को अवैध करार दिया था
Hearing took place in Supreme Court even on holida : उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों एवं अस्पतालों में एमबीबीएस छात्रों के दाखिले में अनियमितताओं से संबंधित मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा पारित एक आदेश पर स्वत: संज्ञान लेने के बाद शनिवार को (अवकाश के दिन) एक विशेष सुनवाई की।
उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने एक खंडपीठ के आदेश को अवैध करार दिया, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले का स्वत: संज्ञान लेकर शनिवार को सुनवाई की। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की संविधान पीठ ने इस मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय में सभी कार्यवाही पर रोक लगा दी और पश्चिम बंगाल सरकार तथा मूल याचिकाकर्ता को नोटिस भी जारी किए।
ऐसा कई मौकों पर हो चुका है, जब शीर्ष अदालत ने गैर-कार्य दिवस को भी सुनवाई के लिए अपने दरवाजे खोले हैं। पिछले कुछ वर्षों में ऐसा देखा गया है कि शीर्ष अदालत ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता, राज्यों में राजनीतिक संकट और राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण सहित विभिन्न मामलों की सुनवाई के लिए सप्ताहांत विशेष पीठों का गठन किया है।
पिछले साल एक जुलाई को शीर्ष अदालत ने 2002 के गोधरा कांड के बाद निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित सबूत गढ़ने के मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा की मांग करने वाली कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका पर सुनवाई के लिए- एक के बाद एक- दो अलग-अलग पीठों का गठन किया।
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की तत्कालीन पीठ ने उस वक्त शनिवार को देर रात की विशेष सुनवाई में सीतलवाड़ को उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए समय नहीं देने पर सवाल उठाया था और कहा था कि एक सामान्य अपराधी भी एक प्रकार की अंतरिम राहत का हकदार है।
सीतलवाड़ को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने पर दो न्यायाधीशों की अवकाशालीन पीठ के फैसले में आम सहमति न बनने पर तीन न्यायाधीशों की पीठ ने विशेष सुनवाई की थी। वर्ष 2023 में भी शीर्ष अदालत ने एक अन्य मामले में स्वत: संज्ञान लिया था और शनिवार को हुई सुनवाई में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रमुख को यह तय करने के लिए कहा गया था कि एक कथित बलात्कार पीड़िता 'मांगलिक' है या नहीं।
न्यायमूर्ति एमआर शाह (सेवानिवृत्त) और बेला एम. त्रिवेदी की एक विशेष पीठ शनिवार (15 अक्टूबर, 2022) को माओवादी संबंध मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईंबाबा को आरोप मुक्त करने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को निलंबित करने के लिए बैठी थी।
इससे पहले तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 13 नवंबर, 2021 (शनिवार) को की गई सुनवाई में राजधानी में वायु गुणवत्ता को सामान्य स्तर तक लाने के लिए आपातकालीन उपाय के तौर पर दो दिन के बंद का प्रस्ताव किया था। शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों ने कई मौकों पर रविवार (अवकाश) को भी बैठकें की हैं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में भारतीय जनता पार्टी नेता देवेंद्र फडणवीस के शपथ ग्रहण के खिलाफ कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना की ओर से दायर एक तत्काल याचिका पर 24 नवंबर, 2019 (रविवार) को तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई की थी।
तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों के पीछे एक बड़ी साजिश की जांच के लिए 20 अप्रैल, 2019 को एक विशेष सुनवाई की थी। शीर्ष अदालत ने 2020 में एक रविवार को दिवंगत पत्रकार विनोद दुआ की याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें उनके खिलाफ देशद्रोह के मामले को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour