नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि बगैर उनकी मंजूरी के आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। शाह ने कहा कि पिछले साल जुलाई महीने में केंद्रीय मंत्रिपरिषद में विस्तार से पहले जनता दल (यूनाइटेड) के प्रतिनिधित्व के सिलसिले में उनकी कुमार से बात हुई थी।
भारतीय जनता पार्टी के सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। भाजपा की बिहार इकाई के प्रमुख नेताओं के साथ मंगलवार को हुई एक बैठक में शाह ने कहा कि पिछले साल जुलाई महीने में केंद्रीय मंत्रिपरिषद में विस्तार से पहले जनता दल (यूनाइटेड) के प्रतिनिधित्व के सिलसिले में उनकी कुमार से बात हुई थी।तत्कालीन जद(यू) अध्यक्ष सिंह चूंकि मंत्रिमंडल में शामिल होना चाहते थे, इसलिए कुमार ने शाह से कहा था कि उन्हें शामिल किया जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार शाह ने बैठक के दौरान पार्टी नेताओं को बताया कि कुमार चाहते थे कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में उनकी पार्टी के दो नेताओं को शामिल किया जाए लेकिन पार्टी के एक ही नेता को इसमें जगह दिए जाने की बात पर उन्होंने सिंह को शामिल किया जाने का समर्थन किया था।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने दावा किया था कि सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को लेकर उनकी मंजूरी नहीं थी। केंद्रीय मंत्रिपरिषद में अधिक सीटें मांगे जाने पर भाजपा ने उस वक्त जद(यू) से कहा था कि वह सिर्फ एक ही मंत्री पद दे सकती है क्योंकि शिवसेना को भी एक ही मंत्री पद दिया गया है।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना ने जद(यू) से अधिक सीटें जीती थीं। वर्ष 2020 में शिवसेना ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था, जबकि जद(यू) ने पिछले दिनों राजग से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल से हाथ मिला लिया था और बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाई थी।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी की बिहार इकाई के नेताओं को महागठबंधन सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार करने को कहा है और अगले लोकसभा चुनाव में राज्य की 40 में से कम से कम 35 सीटें जीतने का लक्ष्य दिया है।(भाषा)