Jagannath Rath Yatra: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने 18 जून को अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में कहा था कि पुरी रथयात्रा 'अपने आप में एक आश्चर्य' है, रथयात्रा (Rath Yatra) के साथ ही तीनों देवी-देवताओं के लिए रथों का निर्माण भी किसी आश्चर्य से कम नहीं। इस वार्षिक रथयात्रा के लिए हर वर्ष नए सिरे से 3 विशाल रथ बनाए जाते हैं।
उन्हें बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण वाले पारंपरिक बढ़ई द्वारा बनाया जाता हैं और उनमें कई तो ऐसे होते हैं, जो कभी स्कूल भी नहीं गए हैं। रथों का रखरखाव करने वाले सुदर्शन मेकाप ने कहा कि उनके पास कोई नियमावली, वास्तुशिल्पीय डिजाइन या आधुनिक मशीन नहीं होती हैं लेकिन हर साल अपने पारंपरिक ज्ञान के आधार पर ही कारीगरों का एक समूह पुरी में भगवान जगन्नाथ और उनके 2 भाई-बहनों के लिए विशाल एवं एक जैसे रथ तैयार कर देता है।
मेकाप ने बताया कि वे (कारीगर) किसी आधुनिक औजार या किसी इंजीनियर की मदद नहीं लेते हैं लेकिन इन रथों की उपयुक्तता संबंधी प्रमाणपत्र सरकारी अभियंता इस बात की पुष्टि करने के बाद जारी करते हैं कि वे सड़कों पर चलने के लायक हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को कहा था कि ओडिशा में भगवान भगवान की रथयात्रा 'अपने आप में एक आश्चर्य' है, क्योंकि यह 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की सच्ची भावना को परिलक्षित करती है। भगवान जगन्नाथ का 'नंदीघोष' रथ 44 फुट 2 इंच, भगवान बलभद्र का 'तालध्वज' रथ 43 फुट 3 इंच और देवी सुभद्रा का रथ 'दर्पदलन' 42 फुट 3 इंच का होता है। लेकिन इन रथों के निर्माताओं के पास नापने के लिए फीट या इंच जैसा कोई फीता ही नहीं होता है।
जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ता असित मोहंती ने कहा कि हर साल नए सिरे से रथों का निर्माण किया जाता है। उनकी ऊंचाई, चौड़ाई या अन्य मापों में सदियों से कोई बदलाव नहीं आया। लेकिन उन्हें और रंगीन एवं आकर्षक बनाने के लिए नई-नई चीजें जोड़ दी जाती हैं।
उन्होंने बताया कि इन रथों को कुछ परिवारों द्वारा 4,000 लकड़ियों द्वारा तैयार किया जाता है। इन परिवारों को उनके (रथों के) निर्माण का वंशानुगत अधिकार प्राप्त है। उन्होंने बताया कि रथों को बनाने वाले बढ़ई के पास कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं होता है, उन्हें बस तकनीक मालूम होती है, जो उन्हें अपने पूर्वजों से विरासत में मिली होती है।
भगवान जगन्नाथ के 16 पहियों वाले 'नंदीघोष' रथ के मुख्य विश्वकर्मा (बढ़ई) विजय महापात्रा ने कहा कि मैं करीब 4 दशक से रथ निर्माण में लगा हूं। मुझे मेरे पिताजी लिंगराज महापात्रा ने प्रशिक्षण दिया था जिन्हें मेरे दादाजी अनंत महापात्रा ने प्रशिक्षित किया था। उन्होंने कहा कि रथों के निर्माण में छेनी जैसे बस पारंपरिक औजार ही इस्तेमाल किए जाते हैं।
महापात्रा ने कहा कि यह एक परंपरा है और हम खुशनसीब हैं कि हमें भगवान की सेवा का विशेषाधिकार मिला है। उन्होंने कहा कि अब उनका कॉलेज में पढ़ने वाला किशोरवय भतीजा रुद्र महापात्रा प्रशिक्षण ले रहा है। महापात्रा ने कहा कि अनुभवी बढ़ई अपने से छोटों को रथ-निर्माण की तकनीकी सिखाते हैं तथा वे हाथ से ही मापने की विधि सीख जाते हैं।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta