India or Bharat : G-20 सम्मेलन के निमंत्रण पत्र पर प्रेजिडेंट ऑफ इंडिया लिखे जाने के बाद से देशभर में इंडिया और भारत को लेकर बहस छिड़ गई है। कई लोगों का कहना है कि सरकार अब संविधान से इंडिया को हटाकर केवल भारत शब्द का ही उपयोग करेगी। इस कवायद में सरकार को 14 हजार करोड़ रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं।
देश के लिए हिंदी में भारत और अंग्रेजी में इंडिया नाम का प्रयोग किया जाता है। विदेशों में तो अधिकांश लोग भारत को इंडिया ही कहते हैं। RBI, CBI, SBI आदि प्रतिष्ठित संस्थानों के नाम में भी इंडिया शब्द का ही इस्तेमाल किया गया है। अगर सभी जगह से इंडिया को हटाकर भारत करना हो तो पैसे के साथ ही काफी समय की खर्च करना होगा।
केंद्र सरकार ने 18 सितंबर को संसद के एक विशेष सत्र में बुलाया है। कहा जा रहा है कि इस विशेष सत्र में सरकार संविधान संशोधन विधेयक पेश कर सकती है। हालांकि सरकार से जुड़े लोग फिलहाल इंडिया नाम को संविधान से हटाने का खंडन कर रहे हैं।
राज्य का नाम बदलने में कितना खर्च : भारत में पहले भी कई राज्यों और शहरों के नाम बदले जा चुके हैं। उत्तरांचल का उत्तराखंड हो जाना और इलाहाबाद का प्रयागराज हो जाना इसका नवीनतम उदाहरण है। इससे पहले बंबई मुंबई और मद्रास चेन्नई बन चुका है। राज्यों की बात की जाए तो मध्य भारत का नाम बदलकर मध्यप्रदेश, उड़िसा का नाम ओडिशा, पॉन्डिचेरी का नाम पुड्डुचेरी हो चुका है। कई अन्य राज्यों के नाम भी बदले जा चुके हैं। एक शहर का नाम बदलने पर लगभग 200 से 500 करोड़ रुपए का खर्च आता है। वहीं किसी राज्य के नाम को बदलने में 500 करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च हो सकते हैं।
क्या है ऑलिवियर का फॉर्मूला: एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिया को भारत करने में करीब 14 हजार 304 करोड़ रुपए खर्च हो सकते हैं। इस आंकड़े की गणना दक्षिण अफ्रीका के वकील डेरेन ऑलिवियर के सुझाए फॉर्मूला से की गई है।
उल्लेखनीय है कि 2018 में स्वाजीलैंड का नाम बदलकर इस्वातीनि किया गया था। इसका मकसद औपनिवेशिकता से छुटकारा पाना था। तब ऑलिवियर ने देश का नाम बदलने में आने वाले खर्च की गणना के लिए एक विधि तैयार की थी।
ऑलिवियर ने उस समय इस अफ्रीकी देश के नाम बदलने की प्रक्रिया की तुलना एक बड़े कॉर्पोरेट में होने वाली रीब्रांडिंग से की थी। उन्होंने कहा था कि एक बड़े इंटरप्राइज का औसत मार्केटिंग खर्च उसके कुल राजस्व का करीब 6 फीसदी होता है। जबकि, रीब्रांडिंग में कंपनी के कुल मार्केटिंग बजट का 10 फीसदी तक खर्च आ सकता है। उन्होंने अनुमान लगाया था कि स्वेजीलैंड का नाम इस्वातीनि करने में 60 मिलियन डॉलर का खर्च आएगा।
अगर भारत पर इस फॉर्मूले को लागू किया जाता है, नाम बदलने की प्रक्रिया में करीब 14 हजार 304 करोड़ रुपए खर्च होंगे। उल्लेखनीय है कि 2023 के वित्तीय वर्ष के अंत में राजस्व 23.84 लाख करोड़ रुपए था। इसमें टैक्स और नॉन टैक्स रेवेन्यू दोनों ही शामिल थे।
Edited by : Nrapendra Gupta