Silver Rate in India: हाल के दिनों में रिकॉर्ड स्तर छूने के बाद चांदी (Silver) में पिछले 10 दिनों में 31000 रुपए तक की गिरावट दर्ज की गई है। 14 अक्टूबर को चांदी के भाव 1 लाख 78 रुपए प्रति किलो थे। दरअसल, चांदी में पिछले कुछ दिनों से जारी उतार-चढ़ाव से निवेशक भी आशंकित हो गए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी सामने आया है कि भविष्य में चांदी की स्थिति कैसी होगी? इसके भाव बढ़ेंगे या फिर और गिरावट होगी? अभी चांदी में निवेश करना उचित होगा या नहीं?
 
 			
 
 			
					
			        							
								
																	
	 
	लंबी अवधि के लिए निवेश सही : हालांकि चांदी के गिरावट के पीछे एक नहीं कई कारण जिम्मेदार है। घरेलू कारकों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय कारक भी चांदी के उतार-चढ़ाव के लिए जिम्मेदार हैं। विशेषज्ञों की मानें तो चांदी का भविष्य मिला-जुला रह सकता है। फिलहाल भले ही भावों में उतार-चढ़ाव दिखाई दे रहा है लेकिन चांदी की मांग सौर ऊर्जा (Solar Energy), इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे 'ग्रीन टेक्नोलॉजी' (Green Technology) उद्योगों में तेजी से बढ़ रही है। चूंकि यह मांग लगातार बढ़ने की उम्मीद है, इसलिए लंबी अवधि में चांदी के भाव में वृद्धि की संभावना है।
	 
	कई रिपोर्टों से यह भी पता चलता है कि चांदी की मांग उसकी आपूर्ति (माइनिंग और रीसाइक्लिंग) से अधिक है। मांग और आपूर्ति के बीच यह अंतर भी कीमतों को ऊपर धकेल सकता है। आर्थिक अनिश्चितता के समय में, चांदी को सोने की तरह ही मुद्रास्फीति (Inflation) के खिलाफ एक सुरक्षित निवेश माना जाता है, जिससे इसकी मांग बढ़ सकती है। लॉन्ग टर्म में चांदी में निवेश फायदेमंद हो सकता है। 
	 
	इन कारणों से गिरे दाम : जहां तक हाल के उतार-चढ़ाव का सवाल है तो रिकॉर्ड ऊंचाइयों को छूने के बाद, मुनाफा वसूली और मजबूत अमेरिकी डॉलर जैसे कारणों से चांदी के भाव में गिरावट आई है। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति के चलते भी चांदी में नरमी देखी गई है। केंद्रीय बैंकों की ब्याज दरों पर नीतियां और भू-राजनीतिक तनाव चांदी के भाव में अस्थिरता बनाए रख सकते हैं। यदि पिछले 25 साल के आंकड़े पर नजर डालें तो चांदी 20 गुना से ज्यादा बढ़ चुकी है।
								
								
								
										
			        							
								
																	
		
			
				| पिछले 25 साल में कितने बढ़े चांदी के भाव | 
		
		
			
				| वर्ष | चांदी के भाव | 
			
				| 2000 | 7900 | 
			
				| 2010 | 22165 | 
			
				| 2015 | 37825 | 
			
				| 2020 | 63435 | 
			
				| 2021 | 62572 | 
			
				| 2022 | 55100 | 
			
				| 2023 | 78600 | 
			
				| 2024 | 95700 | 
			
				| 2025 | 152000 | 
		
	
	
	Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
	
नोट : निवेश से पहले सभी जोखिमों का अध्ययन करें और विशेषज्ञों की सलाह लें।