नई दिल्ली। विमानों में बदसलूकी की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। अब इस पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने पर बातें हो रही हैं। यात्रियों के अनियंत्रित व्यवहार की घटनाओं के बीच विशेषज्ञों ने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली से सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायता मिल सकती है।
कानूनी और विमानन विशेषज्ञों के एक वर्ग का मानना है कि विमान में कैमरे लगाने की जरूरत है, ताकि यात्रियों के लिए अनुशासन और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
उन्होंने कहा कि विमान के अंदर सीसीटीवी कैमरे और चालक दल के लिए शरीर पर लगाए जाने वाले कैमरे जैसी इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली के बारे में विचार किया जा सकता है। हालांकि ऐसी तकनीकों को लागू करने से यात्रियों की गोपनीयता को लेकर चिंता हो सकती है।
उन्होंने कहा कि अगर विमान में कोई अनियंत्रित गतिविधि होती है, तो इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली से सबूत जुटाने में भी मदद मिलेगी।
पिछले साल नवंबर में न्यूयॉर्क से नयी दिल्ली आ रही एयर इंडिया की उड़ान में एक यात्री ने एक महिला सह-यात्री पर कथित रूप से पेशाब कर दिया था। हालांकि, बाद में आरोपी शंकर मिश्रा इस बात से मुकर गया कि उसने सह-यात्री पर पेशाब किया था। आरोपी इस समय न्यायिक हिरासत में है। बीते दिनों उड़ानों में यात्रियों के अनियंत्रित व्यवहार की कई घटनाएं सामने आई हैं।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सखा राम सिंह ने विमान के अंदर कैमरे लगाने के विचार का समर्थन करते हुए कहा कि इससे उड़ानों में अनुशासन और कानून के शासन को बनाए रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि हितधारकों की सलाह लेकर इस बारे में फैसला करना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (आईसीएओ) में भारत के पूर्व प्रतिनिधि सनत कौल ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक निगरानी विमानों में यात्रियों के अनियंत्रित व्यवहार जैसी समस्याओं का जवाब है।
हालांकि पायलटों के एक वर्ग का मानना है कि विमान में सीसीटीवी होने से लोगों की निजता का उल्लंघन होगा। फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट के सचिव कैप्टन सी एस रंधावा ने कहा कि दुनिया में कहीं भी विमान के अंदर कैमरे नहीं होते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि गोपनीयता के तर्कों पर हवाई सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।