नई दिल्ली। इंडियन मेडकिल एसोसिएशन ने एडवाइजरी जारी करते हुए डॉक्टरों को एंटीबायोटिक्स से बचने की सलाह दी है। आईएमए ने कहा कि खांसी, मतली, उल्टी, गले में खराश, बुखार, शरीर में दर्द और दस्त के लक्षण वाले रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
आईएमए ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक नोटिस के जरिए यह घोषणा की। नोटिस में कहा गया है कि मौसमी बुखार एक सप्ताह से अधिक नहीं रहेगा और एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन से बचने की जरूरत है।
आईएमए ने बताया कि ये संक्रमण औसतन 5 से 7 दिनों तक रहता है। बुखार 3 दिनों में खत्म हो जाता है। लेकिन खांसी 3 हफ्ते तक बनी रह सकती है। आईएमए ने डॉक्टरों को सलाह दी कि वे एंटीबायोटिक्स देने से परहेज करें।
क्या होती है एंटी बायोटिक्स : एंटीबायोटिक्स एक प्रकार की दवा है जो बैक्टीरिया के विकास को नष्ट या धीमा कर देती हैं और संक्रमण को फैलने से रोकती है। इसे बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
एंटीबायोटिक दवाओं के नुकसान : कई लोगों की आदत होती है, एंटीबायोटिक्स दवाओं का अत्यधिक सेवन करना। लेकिन गैरजरूरी समय पर इनका सेवन करने से आपकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है। अत्यधिक जरूरत के समय ही एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करें। एंटीबायोटिक दवाएं प्रतिरक्षा प्रणाली में गड़बड़ी पैदा कर सकती हैं जो खतरनाक फंगल संक्रमण के जोखिम को बढ़ाती हैं। भारत में एंटीबायोटिक के प्रतिरोधी संक्रमणों से कारण हर साल 50 हजार से ज्यादा बच्चों की जान जा रही है। इसे सुपरबग कहा जाता है।