नई दिल्ली। जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी की नजर में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ज्यादा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की ज्यादा अहमियत है। तभी तो उन्होंने अपने बेटे की दस्तारबंदी रस्म के लिए शरीफ को तो न्योता भेजा है, लेकिन मोदी को उन्होंने इस लायक नहीं समझा।
बुखारी ने एक टीवी चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि ये मेरे ऊपर है कि मैं किसे बुलाऊं और किसे नहीं। उन्होंने कहा कि देश का मुसलमान नहीं चाहता कि नरेन्द्र मोदी कार्यक्रम में आएं। मुसलमान उन्हें अपना नहीं मानता। मोदी सिर्फ एक तबके की बात करते हैं, उन्हें पूरे देश की जनता के लिए बात करना चाहिए। उन्हें मुसलमानों के करीब आना चाहिए। मोदी अपना रवैया बदलें तो देश का मुसलमान भी उनके प्रति रवैया बदल लेंगे। जब उनसे सवाल किया कि मुसलमानों ने भी तो मोदी को देश का प्रधानमंत्री चुना है तो बुखारी ने कहा कि नहीं, मुसलमानों ने मोदी को नहीं चुना है।
दरअसल, बुखारी ने 19 साल के अपने छोटे बेटे शाबान बुखारी को अपना वारिस घोषित किया है। 22 नवंबर को दस्तारबंदी की रस्म के साथ उन्हें नायब इमाम घोषित किया जाएगा। इस बात की चर्चा मीडिया में काफी जोर शोर से है।
बताया जाता है कि दस्तारबंदी की रस्म के लिए जिन लोगों को न्योता भेजा गया, उनमें गृहमंत्री राजनाथसिंह और भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन का नाम तो शामिल है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम नहीं है।
नए इमाम की ताजपोशी के कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन और राज्यसभा सांसद विजय गोयल को भी न्योता भेजा गया है। इनके अलावा सोनिया गांधी, राहुल गांधी, अभिषेक मनु सिंघवी, एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव और सीएम अखिलेश यादव भी न्योता भेजा गया है।