जम्मू कश्मीर पर अमेरिका के हाथों मुंह की खाने के बाद अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पेरिस में जिस तरह पीएम मोदी और ट्रंप के बीच हुई मुलाकात में कश्मीर में मध्यस्थता के मुद्दे को दरकिनार कर दिया गया। उसके बाद बौखलाए इमरान खान ने अपनी इज्जत बचाने के लिए भारत को परमाणु युद्ध की धमकी दे डाली।
मोदी–ट्रंप की मुलाकात के तुरंत बाद देश के नाम संबोधन में इमरान खान ने एक बार फिर कश्मीर के मुद्दे पर भारत को गीदड़ भभकी देते हुए कहा कि कश्मीर को लेकर किसी भी हद तक जाने को तैयार है। इमरान जिस तरह भारत को आए दिन परमाणु युद्ध की धमकी दे रहे हैं, उससे कई सवाल उठ रहे हैं।
दरअसल पाकिस्तान में सत्ता हासिल करने के बाद और कश्मीर के मुद्दे पर जिस तरह इमरान खान को अपने ही घर में तगड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है, उससे इमरान खान के खुद के अस्तित्व पर ही सवाल उठने लगे हैं।
सेना के हाथों की कठपुतली इमरान : पाकिस्तान में सेना और सत्ता एक दूसरे के पूरक रहे हैं। अगर पाकिस्तान के इतिहास को देखा जाए तो जब-जब पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव बढ़ा है तब-तब सेना सत्ता पर हावी हुई है। चाहे बात 90 के दशक में जनरल परवेज मुर्शरफ के नवाज शरीफ सरकार के ताख्ता पलट की हो या मौजूदा समय में आर्मी चीफ जनरल कमर बाजवा के निर्वाचित सरकार इमरान खान के ऊपर हावी होने की।
कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बीच जिस तरह पाकिस्तान आर्मी चीफ कमर बाजवा का कार्यकाल अचानक तीन साल बढ़ाया गया उससे यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या पाकिस्तान एक बार सैन्य शासन की तरफ बढ़ रहा है।
पाकिस्तान में सेना के बढ़ते दखल को लेकर सैन्य मामलों के जानकार और वीर चक्र विजेता आदित्य विक्रम पेठिया कहते हैं कि पाकिस्तान में सत्ता पर सेना के हावी होने की बात कोई नई नहीं है। अगर पाकिस्तान के आजादी के बाद के 70 साल के इतिहास को देखे तो वहां अधिकतर सेना ही सत्ता पर हावी रही है और इसी कारण वहां पर निर्वाचित सरकारों के तख्तापलट की एक नहीं कई घटना हुई है।
पेठिया कहते हैं कि मेरी नजर में तो पिछले 30 सालों में तो पाकिस्तान को एक तरह से सेना ही चला रही है और पीएम तो मात्र मुखौटा मात्र ही है। पेठिया कहते हैं कि आज पाकिस्तान की हालत उस चूहे जैसी हो गई है, जो एक कोने में छोड़ दिए जाने पर अपने को शेर जैसा समझने लगा है।