Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

भारत में अब भी तय उम्र से पहले हो जाती है लड़के-लड़कियों की शादी, सर्वे में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े

Advertiesment
हमें फॉलो करें marriage
, शुक्रवार, 6 मई 2022 (23:11 IST)
नई दिल्ली। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) द्वारा कम उम्र में होने वाले विवाह के संबंध में 2019 से 2021 के बीच किए गए ताजा सर्वेक्षण में कुछ चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।

सर्वेक्षण के अनुसार, 2019-21 के दौरान 18 से 29 साल उम्र की विवाहित महिलाओं में से 25 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जिनका विवाह भारत में कानूनी रूप से तय विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष से पहले हुआ। ऐसे ही 21 से 29 साल आयु के कानूनी उम्र 21 साल से पहले विवाह करने वाले पुरुषों की संख्या 15 प्रतिशत थी।

देश में फिलहाल स्त्रियों के लिए विवाह की कानूनी न्यूनतम आयु 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 21 वर्ष है, लेकिन सरकार दोनों ही के लिए विवाह की न्यूनतम वैधानिक आयु को 21 वर्ष करने की योजना बना रही है।

एनएफएचएस-5 के अनुसार, अगर कानूनी उम्र से पहले महिलाओं के विवाह के संबंध में राज्यों की स्थिति पर बात करें तो सबसे खराब स्थिति पश्चिम बंगाल की है जहां ऐसी स्त्रियों की संख्या 42 फीसदी है, वहीं बिहार में यह 40 फीसदी, पूर्वोत्तर भारत के राज्य त्रिपुरा में 39 फीसदी, झारखंड में 35 और आंध्र प्रदेश में 33 फीसदी है।

एनएफएचएस की रिपोर्ट के अनुसार, वैधानिक आयु से पहले स्त्रियों के विवाह के संदर्भ में असम में ऐसी महिलाओं की संख्या 32 फीसदी, दादर नगर हवेली और दमन दीव में 28 फीसदी, तेलंगाना में 27 फीसदी और मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में 25 फीसदी है।

रिपोर्ट के अनुसार, वैधानिक आयु से पहले स्त्रियों के विवाह के संदर्भ में सबसे बेहतर स्थिति लक्ष्यद्वीप की है जहां महज चार फीसदी महिलाओं का विवाह 18 साल की आयु से पहले हुआ है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में ऐसी महिलाओं की संख्या छह फीसदी, हिमाचल प्रदेश, गोवा और नगालैंड में 7-7 फीसदी और केरल तथा पुडुचेरी में 8-8 फीसदी है।

एनएफएचएस की 2019 से 21 के बीच के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान 21 से 29 साल आयु वर्ग में ऐसे पुरुष भी हैं जिनका विवाह वैधानिक आयु (21 साल) से पहले हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में ऐसे पुरुषों की संख्या 25 फीसदी है जबकि गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में 24-24 फीसदी, झारखंड में 22 फीसदी, अरुणाचल प्रदेश में 21 फीसदी और पश्चिम बंगाल में ऐसे पुरुषों की संख्या 20 फीसदी है।

वैधानिक आयु सीमा से पहले पुरुषों के विवाह के दृष्टिकोण से भी देश में लक्ष्यद्वीप सबसे बेहतर स्थिति में है और एक फीसदी से भी कम पुरुष ऐसे हैं जिनका विवाह 21 साल से कम आयु में हुआ हो। वहीं केरल में ऐसे पुरुषों की संख्या एक फीसदी, पुडुचेरी, तमिलनाडु और नगालैंड में 4-4 फीसदी, कर्नाटक और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 5-5 फीसदी, हिमाचल प्रदेश और गोवा में 6-6 फीसदी जबकि दिल्ली, पंजाब और महाराष्ट्र में 9-9 फीसदी है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कम उम्र में शादी करने का चलन भी कम हुआ है। रिपोर्ट में उल्लिखित सभी आयु वर्ग के आंकड़ें संकलन वर्ष (2019 से 21) के बीच के हैं। उसमें कहा गया है, 20 से 24 साल आयु वर्ग की महिलाओं में महज 23 फीसदी ऐसी हैं जिनका विवाह 18 साल की वैधानिक आयु से पहले हुआ है।

लेकिन 45 से 49 आयु वर्ग की महिलाओं में यह संख्या 47 फीसदी है। पुरुषों की बात करें तो 45 से 49 वर्ष आयु वर्ग में 21 साल की वैधानिक आयु से पहले विवाह करने वालों की संख्या 27 फीसदी है और 25 से 29 वर्ष आयु वर्ग में घटकर 18 फीसदी रह गई है।

एनएफएचएस की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 12 साल या उससे ज्यादा अवधि तक स्कूली शिक्षा पाने वाली महिलाओं का विवाह अन्य महिलाओं के मुकाबले देरी से हुआ है।

रिपोर्ट में कहा गया है, स्कूल नहीं गई 25 से 49 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं में विवाह की औसत आयु 17.1 साल है जबकि 12 साल या उससे ज्यादा वक्त तक स्कूल जाने वाली महिलाओं में विवाह की औसत आयु 22.8 साल है।(भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कोरोना के बाद भविष्य की पढ़ाई को लेकर चिंतित हैं विद्यार्थी, 11 राज्यों के बड़े सर्वे में हुआ खुलासा