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राहुल गांधी को क्यों सता रहा ED से पूछताछ का डर, आखिर किस मामले में कस सकता है शिकंजा?

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विकास सिंह

, शुक्रवार, 2 अगस्त 2024 (11:10 IST)
संसद में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के चक्रव्यूह वाले भाषण पर जहां संसद में सियासत जारी है वहीं राहुल गांधी ने गुरुवार देर रात सोशल मीडिया X पर दावा किया है कि लोकसभा में 'चक्रव्यूह' वाले उनके भाषण के बाद ED उनके यहां छापा डालना की तैयारी कर रही है। राहुल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि 'जाहिर है, 2 में से 1 को मेरा चक्रव्यूह वाला भाषण अच्छा नहीं लगा। ईडी के अंदरूनी सूत्रों ने मुझे बताया है कि छापेमारी की तैयारी हो रही है, मैं ईडी का खुली बांहों से इंतजार कर रहा हूं। चाय और बिस्कुट मैं खिलाऊंगा”।

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ऐसे समय ईडी की छापेमारी का दावा किया है जब संसद का सत्र चल रहा है और संसद में राहुल लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है। संसद में बजट पर चर्चा के दौरान राहुल ने अपने भाषण में चक्रव्यूह का जिक्र करके मोदी सरकार को जमकर घेरा था। वहीं भाजपा राहुल गांधी पर झूठ बोलने का आरोप लगााते हुए पूरे मामले में लोगों के बीच भ्रम फैलााने का आरोप लगा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरी ईडी किस मामले में राहुल पर शिकंजा कस सकती है।   

नेशनल हेराल्ड केस में राहुल पर कसेगा शिंकजा-नेशनल हेराल्ड केस में आने वाले समय में ईडी राहुल पर शिकंजा कर सकती है। इस मामले में ईडी राहुल गांधी से 2022 में लंबी पूछताछ कर चुकी है। पूरा मामला को लेकर अभी दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा ने राहुल गांधी के बेल पर बाहर होने का मुद्दा उठाया था वहीं राहुल ने ईडी की पूछताछ को लेकर तंज कसा था।

नेशनल हेराल्ड जिसका प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड करती थी उसकी स्थापना जवाहलाल नेहरू ने 1937 में की थी। आजादी की लड़ाई में राष्ट्रवादी समाचार पत्र के रुप में जाना पहचाने जाने वाला नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन 2008 में आर्थिक तंगी के कारण बंद कर दिया गया। नेशनल हेराल्ड का संचालन करने वाली कर्ज में डूबी एजेएल कंपनी ने 2010 में यह घोषणा कर दी कि वह कर्ज नहीं चुका सकती।

23 नंवबर 2010 को गांधी परिवार की एक नान-प्राफिट कंपनी यंग इंडियन सामने आई, जिसके निदेशक सुमन दुबे और सैम पित्रोदा जैसे लोग बने। 13 दिसंबर 2010 को राहुल गांधी को भी निदेशकों के बोर्ड में शामिल किया गया। इसके बाद एजेएल के शेयर एक डील कर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिए गए और 90 करोड़ का कर्ज 50 लाख लेकर माफ कर दिया गया। 22 जनवरी 2011 को सोनिया गांधी में इसकी निदेशक बन गई। यंग इंडियन की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी सोनिया-राहुल के पास है। दरअसल एजेएल को आर्थिक तंगी के कारण कांग्रेस पार्टी ने समय-समय पर 90 करोड़ रुपये उधार दिए थे। जबकि यह द रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्‍ट 1950 का उल्लंघन है। इसके मुताबिक कोई राजनीतिक पार्टी किसी को कर्ज नहीं दे सकती।

साल 2012 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट में इस मामले को  लेकर याचिका दाखिल की और आरोप लगाया कि कुछ कांग्रेस के नेताओं ने यंग इंडिया लिमिटेड (YIL) के जरिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को गैर-कानूनी ढ़ंग से अपने अधिकार में ले लिया है। सुब्रमण्यम स्वामी के अनुसार ये सब दिल्ली में बहादुर शाह जफर रोड़ स्थित हेराल्ड हाउस की करीब 2 हजार करोड़ रुपयों की बिल्डिंग पर अवैध कब्जा करने के लिए किया गया। गौरतलब है कि नेशनल हेराल्ड की देश में बेशकीमती जमीन है।

इस पूरे मामले की जल्द सुनवाई को लेकर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी हाईकोर्ट और सुप्रीम  कोर्ट तक का रूख किया। पूरे मामले में 19 दिसंबर को निचली अदालत ने राहुल-सोनिया को जमानत दे दी थी। इसी बेल को भाजपा चुनावी मुद्दा बनाती आई है।

पूरे मामले की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही है। पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी और सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी को नेशनल हेराल्ड मामले में संक्षिप्त जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने इस मामले को बहस के लिए 29 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया है।
 

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