इनकम टैक्स एक्ट में हाल ही में चाहे गए बदलाव के चलते, टैक्स ऑफिसर द्वारा अप्रैल 2016 से बैंकों में जमा की गई राशि पर कानूनी नोटिस और 60 प्रतिशत का टैक्स लगाया जा सकता है। जानकारों की मानें तो इसकी वजह है, सरकार द्वारा बैंकों में जमा होने वाली बिना टैक्स राशि की कोई लिमिट तय न करना।
यह पीएम मोदी और रेवन्यू सेक्रेटरी के उस वादे पर सवाल खड़ा करता है जिसमें कहा गया था कि 2.5 लाख की राशि पर कोई पूछताछ या जांच नहीं होगी। टैक्स एक्सपर्ट मानते हैं कि कम राशि जमा करने वाले ऐसे लोग, जिन्होंने अप्रैल 2016 के बाद अपने खातों में 2-4 लाख रुपए जमा किए हैं, मुसीबत में आ सकते हैं।
विशेषज्ञ कहते हैं कि टैक्स कानून में चाहे गए बदलाव के अनुसार, घर में जमा किए गए कम पैसों पर भी बड़ा टैक्स रेट जैसे 60 प्रतिशत सर्चार्ज और पैनल्टी लगाए जा सकते हैं, अगर इस राशि को सही तरीके से समझाया न गया। सरकार की तरफ से इस मुद्दे पर सही स्थिति पेश किया जाना बेहद जरूरी है।
राशि जमा करने वाले को राशि के स्त्रोत की जानकारी देनी होगी। बिना स्त्रोत की जानकारी वाली राशि पर अधिक टैक्स लगाए जाने की यह बदलाव सिफारिश करता है। जन-धन खातों के गलत इस्तेमाल की समस्या को देखते हुए कानून में कुछ बदलाव करने की जरूरत महसूस हुई।
विशेषज्ञ मानते हैं कि जिन लोगों ने ज्ञात स्रोतों पर आधारित कैश इस साल जमा किया है (500 रुपए और 1000 रुपए के नोट के रूप में), उन्हें सरकार ने एक और मौका दिया है। ऐसे लोग जिन्होंने कालाधन चल, अचल संपत्ति में लगा रखा है, योजना का लाभ नहीं ले पाएंगे। 500 और 1000 रुपए के नोट के रूप में कालेधन का प्रतिशत बहुत कम था। चल, अचल संपत्ति में कालेधन का उपयोग इससे कहीं अधिक है। इस तरह इस योजना से कालेधन का पूरी तरह से बाहर आना नामुमकिन है।
इस योजना से भी अधिक जिस चीज़ ने विशेषज्ञों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है वह यह है कि टैक्स ऑफिसर किस हद तक अपनी फैसला लेने की आज़ादी का इस्तेमाल करेंगे। सरकार ने शुरुआत में 2.5 लाख रुपए टैक्स-फ्री राशि के रूप में जाहिर किए थे, जिन्हें सही स्रोत बताने के बाद ही मान्य किया जा सकता था।